नई दिल्ली: डिफेंस डीलर और लंदन स्थित भगोड़े संजय भंडारी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपने आरोपपत्र में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा के नाम का उल्लेख किया था। जांच एजेंसी की चार्जशीट में प्रियंका वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा का नाम भी शामिल है। आरोपपत्र के मुताबिक, मामले में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी को आरोपी नहीं बनाया गया है।
आयकर अधिकारियों द्वारा काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) और कर अधिरोपण अधिनियम, 2015 के तहत शिकायत दर्ज करने के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने संजय भंडारी के खिलाफ अपनी जांच शुरू की। मंगलवार को, प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि उसने इस मामले में एनआरआई व्यवसायी सीसी या यूएई स्थित एनआरआई व्यवसायी चेरुवथुर चकुट्टी थम्पी और यूके के नागरिक सुमित चड्ढा के खिलाफ एक नया आरोप पत्र दायर किया है।
आरोपपत्र में दावा किया गया है कि रॉबर्ट वाड्रा और प्रियंका गांधी ने दिल्ली स्थित एक रियल एस्टेट एजेंट के माध्यम से हरियाणा में जमीन का एक टुकड़ा भी खरीदा था, जिसने थंपी को भी जमीन बेच दी थी। इसमें यह भी कहा गया कि वाड्रा और थम्पी के बीच एक ऐसा रिश्ता है जो ''साझा और व्यावसायिक हितों'' तक फैला हुआ है। जांच एजेंसी ने यह भी आरोप लगाया कि रॉबर्ट वाड्रा ने लंदन की एक संपत्ति का "पुनर्निर्माण किया और वहां रहे", जो संजय भंडारी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में "अपराध की आय" है।
संजय भंडारी और रॉबर्ट वाड्रा से जुड़ा मनी लॉन्डरिंग मामला :-
बता दें, 2018-19 का ये मामला आर्म्स डीलर संजय भंडारी (Arms Dealer Sanjay Bhandari) से संबंधित है, जिसे कथित तौर पर प्रियंका गाँधी के पति रॉबर्ट वाड्रा का बेहद खास बताया जाता है। हालाँकि, रॉबर्ट वाड्रा लगातार संजय भंडारी से अपने रिश्तों को नकारते रहे हैं। बता दें कि, संजय भंडारी पर कांग्रेस सरकार के दौरान देश के रक्षा सौदों में बिचौलिया बनकर हेरफेर करने का आरोप है और CBI-ED की तरफ से संजय भंडारी के खिलाफ भारत में मनी लान्ड्रिंग के आरोप भी तय किए जा चुके हैं। भंडारी को ब्रिटेन में अरेस्ट किया गया था, फ़िलहाल वो नज़रबंद है, जहाँ से उसे भारत लाने की कोशिशें की जा रही है, ताकि ये पता लगाया जा सके कि, उसने किसके साथ मिलकर या किसके संरक्षण में आकर रक्षा सौदों में हेरफेर की है।
इसके साथ ही रॉबर्ट वाड्रा का कथित सहयोगी संजय भंडारी भारत में गोपनीयता उल्लंघन कानून में वांटेड है। उस पर काला धन सफेद करने और टैक्स चोरी के भी मामले दर्ज हैं, जिन आधार पर उसके प्रत्यर्पण की अपील की गई। फिलहाल वह ब्रिटिश कोर्ट से जमानत पर है। कांग्रेस सरकार के कुछ रक्षा सौदों में करोड़ाें की रिश्वत से संजय भंडारी के सम्बन्ध जानने के लिए उसका प्रत्यर्पण बेहद जरूरी है। इन सौदों के लिए उसके बैंक अकाउंट में करोड़ों रुपया भेजा गया था। भंडारी ने फ्रांसीसी कंपनी थेल्स पर 90 करोड़ का कमीशन न चुकाने का मुकदमा भी कर रखा है।
बता दें कि, भंडारी और रॉबर्ट वाड्रा दोनों टैक्स चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों का सामना कर रहे हैं। रॉबर्ट वाड्रा 2014 में NDA सरकार के सत्ता में आने के बाद से गुड़गांव और राजस्थान में कुछ अन्य मामलों में जमीन के सौदों के लिए जांच का सामना कर रहे हैं। बाद में वाड्रा का नाम लंदन और दुबई में संपत्तियों की खरीद के लिए संजय भंडारी के खिलाफ जारी जांच के दौरान सामने आया था। ED के अनुसार, भंडारी के कंट्रोल वाली संस्थाओं ने संपत्तियां खरीदीं। इन्हें,बाद में कथित तौर पर वाड्रा से संबंधित संस्थाओं को ट्रांसफर कर दिया गया। इसी मामले की गहन जांच और मामले की तह तक पहुँचने के लिए सभी मामलों को सेंट्रल सर्किल में ट्रांसफर किया गया है, जिसके खिलाफ सोनिया गाँधी और प्रियंका गांधी सुप्रीम कोर्ट पहुंची हुईं हैं, उनका कहना है कि, संजय भंडारी से हमारा कोई लेना-देना नहीं। हालाँकि, भंडारी पर कांग्रेस सरकार के दौरान ही देश के रक्षा सौदों में बिचौलिया बनकर कमीशन खाने का अरोप है, इसलिए आयकर सबको साथ जोड़कर जांच करना चाहता है।
हालाँकि, दिल्ली उच्च न्यायालय ने आयकर प्राधिकरण के टैक्स ट्रांसफरिंग असेसमेंट रिपोर्ट को यथावत रखा है। यानी अब प्राधिकरण दस्तावेजों की और गहन जांच करेगा, ताकि मामले की तह तक पहुंचा जा सके। सेंट्रल सर्किल में हुए ट्रांजैक्शन यानी लेनदेन के वास्तविक आदमी को सामने लाया जा सके। अब देखना ये है कि, क्या सुप्रीम कोर्ट से सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी को राहत मिलती है या नहीं ?
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