नई दिल्ली: कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने आज शनिवार (28 अक्टूबर) को कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में पारित एक प्रस्ताव पर मतदान करने से भारत के अनुपस्थित रहने से "स्तब्ध और शर्मिंदा" थीं, जिसमें इजरायल और हमास के बीच मानवीय संघर्ष विराम का आह्वान किया गया था। जॉर्डन द्वारा लाए गए इस प्रस्ताव में गाजा पट्टी तक सहायता पहुंच और नागरिकों की सुरक्षा की भी मांग की गई थी।
बता दें कि, भारत ने यह कहते हुए प्रस्ताव पर मतदान से परहेज किया क्योंकि इसमें फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास का कोई उल्लेख नहीं था, जिसने 7 अक्टूबर को इज़राइल पर अचानक और इतिहास का सबसे खतरनाक हमला किया था। भारत के अलावा, मतदान से दूर रहने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, जापान, यूक्रेन और ब्रिटेन समेत 43 देश शामिल थे। अमेरिका और 13 देशों ने इस प्रस्ताव के विरोध में वोट डाला, जबकि 121 देशों ने इसका समर्थन किया, जिसमे अधिकतर मुस्लिम देश थे।
UNGA में भारत की उप स्थायी प्रतिनिधि राजदूत योजना पटेल ने वोट न करने का कारण बताते हुए कहा कि, "7 अक्टूबर को इजराइल में हुए आतंकी हमले चौंकाने वाले थे और निंदा के लायक थे। हमारी संवेदनाएं (इजराइल के) बंधक बनाए गए लोगों के साथ हैं। हम उनकी तत्काल और बिना शर्त रिहाई का आह्वान करते हैं।" उन्होंने कहा कि, "आतंकवाद एक घातक बीमारी है और इसकी कोई सीमा, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं होती है। दुनिया को आतंकी कृत्यों के औचित्य पर विश्वास नहीं करना चाहिए। आइए हम मतभेदों को दूर रखें, एकजुट हों और आतंकवाद के प्रति शून्य-सहिष्णुता का दृष्टिकोण अपनाएं।" भारत को इसी पर आपत्ति थी कि, प्रस्ताव में संघर्षविराम की मांग की गई थी, ठीक है, लेकिन हमास के आतंकी कृत्यों की निंदा और बंधकों की रिहाई की मांग क्यों नहीं की गई ? इसलिए भारत ने इस प्रस्ताव पर वोट देना उचित नहीं समझा।
“An eye for an eye makes the whole world blind” ~ Mahatma Gandhi
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) October 28, 2023
I am shocked and ashamed that our country has abstained from voting for a ceasefire in Gaza.
Our country was founded on the principles of non-violence and truth, principles for which our freedom fighters laid down…
भारत के इसी रुख पर प्रियंका गांधी वाड्रा को शर्म आ गई है। एक्स, (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में, प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि भारत का UNGA वोट से दूर रहना "एक राष्ट्र के रूप में हमारे देश के जीवन भर से चली आ रही हर चीज के खिलाफ है।'' उन्होंने कहा कि, "एक स्टैंड लेने से इंकार करना और चुपचाप देखना, क्योंकि मानवता के हर कानून को नष्ट कर दिया गया है, लाखों लोगों के लिए भोजन, पानी, चिकित्सा आपूर्ति, संचार और बिजली काट दी गई है और फिलिस्तीन में हजारों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को नष्ट किया जा रहा है।'' प्रियंका ने लिखा कि, ''एक राष्ट्र के रूप में हमारा देश जीवन भर उन सभी चीजों के खिलाफ खड़ा रहा है जिसके लिए वह खड़ा रहा है।'' उन्होंने महात्मा गांधी को भी उद्धृत किया और लिखा कि, "आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देती है।"
बता दें कि, ये पूरा मामला तब शुरू हुआ, जब 7 अक्टूबर को हमास समूह द्वारा अचानक इजराइल पर किए गए हमले में लगभग 1400 लोग मारे गए, कई महिलाओं-बच्चों को हमास ने बंधक बना लिया, महिलाओं के नग्न शरीर सड़कों पर घुमाए। हमास की इस दरिंदगी से इजराइल आगबबूला हो गया और जवाबी कार्रवाई में गाज़ा में स्थित हमास के ठिकानों पर हमला बोल दिया। इजरायल द्वारा गाज़ा पर जवाबी हमले शुरू करने के बाद गाजा में 7,000 से अधिक लोग मारे गए हैं।
इज़राइल के संयुक्त राष्ट्र के राजदूत गिलाद एर्दान ने भी प्रस्ताव को खारिज कर दिया और कहा कि संयुक्त राष्ट्र (UN) की अब कोई वैधता या प्रासंगिकता नहीं रह गई है और उन्होंने UN पर इज़राइल के बजाय "नाज़ी आतंकवादियों की रक्षा" का समर्थन करने को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया। बता दें कि, भारत और 87 अन्य देशों ने प्रस्ताव में एक संशोधन के पक्ष में वोट डाला था, जिसमें एक पैराग्राफ शामिल किया गया था, जिसमें कहा गया था कि महासभा 7 अक्टूबर को हमास के हमलों और समूह द्वारा बंधकों को लेने की निंदा करती है। हालाँकि, संशोधन को अपनाया नहीं गया, क्योंकि यह आवश्यक दो-तिहाई बहुमत प्राप्त करने में विफल रहा, क्योंकि अधिकतर मुस्लिम देशों ने हमास की निंदा करने से परहेज किया।
वोट बैंक के लिए हमास की निंदा नहीं कर रही कांग्रेस :-
इजराइल पर फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास द्वारा किए गए वीभत्स हमले के दो दिन बाद यानी सोमवार (9 अक्टूबर) को कांग्रेस ने सुबह एक बयान जारी करते हुए इजराइल पर हुए हमले की निंदा की थी, हालाँकि, कांग्रेस ने हमले को 'आतंकी हमला' कहने से परहेज किया था। लेकिन, इसके बावजूद कांग्रेस के मुस्लिम समर्थक नाराज़ हो गए थे और सोशल मीडिया पर कांग्रेस को वोट न देने की धमकी देने लगे थे। इसके बाद कांग्रेस ने उसी दिन शाम को बड़ा यू-टर्न लेते हुए अपनी वर्किंग कमिटी (CWC) की मीटिंग में बाकायदा फिलिस्तीन (हमास का समर्थक) के समर्थन में एक प्रस्ताव पारित किया, यहाँ कांग्रेस ने इजराइल पर हुए हमले का कोई जिक्र ही नहीं किया। ये कदम कांग्रेस ने इसलिए उठाया है कि, उसका मुस्लिम वोट बैंक नाराज़ न हो, क्योंकि आने वाले दिनों में 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं और अगले साल लोकसभा चुनाव। लेकिन, ये भी एक बड़ा सवाल है कि, जिस हमास ने 40 मासूम बच्चों की निर्मम हत्या कर दी, महिलाओं के रेप किए, उन्हें नग्न कर घुमाया, बिना उकसावे के इजराइल के लगभग 1400 लोगों का नरसंहार कर दिया, उसे आतंकी संगठन नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे ?
गौर करने वाली बात ये भी है कि, सीमा विवाद तो भारत का भी पाकिस्तान के साथ है, लेकिन जब पाकिस्तानी आतंकी कश्मीर में हमला करते हैं, तो उसे हम 'आतंकी हमला' ही कहते हैं न, या फिर कुछ और ? यदि कल को पाकिस्तानी आतंकी, भारत पर इस तरह का हमला करते हैं, तो क्या कांग्रेस, भारत सरकार से पलटवार न करने और मार खाकर शांत रहने के लिए कहेगी ? आज भी इजराइल के लगभग 200 लोग हमास के पास बंधक हैं, तो क्या एक देश अपने नागरिकों को आतंकियों के चंगुल में छोड़ सकता है ? उन्हें बचाने के लिए इजराइल को लड़ना नहीं चाहिए, या अपने 1400 लोगों की मौत पर मौन धारण कर लेना चाहिए ? जैसा भारत ने 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के दौरान किया था और लगभग 200 लोगों की जान लेने वाले पाकिस्तानी आतंकियों को क्लीन चिट देते हुए '26/11 हमला-RSS की साजिश' नाम से किताब लॉन्च कर दी गई थी।
हमास नहीं, इजराइल है 'आतंकवादी' ! क्या 'वोट बैंक' के लिए ये तमाम समझौते कर रही कांग्रेस ?