'फिलिस्तीन' लिखा हुआ बैग लेकर संसद पहुंचीं प्रियंका वाड्रा, क्या 'बांग्लादेशी हिन्दुओं' के लिए भी कुछ बोलेंगी?

'फिलिस्तीन' लिखा हुआ बैग लेकर संसद पहुंचीं प्रियंका वाड्रा, क्या 'बांग्लादेशी हिन्दुओं' के लिए भी कुछ बोलेंगी?
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नई दिल्ली: प्रियंका गांधी वाड्रा ने संसद में फिलिस्तीन लिखा हुआ बैग लेकर जाकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। इस बैग पर फिलिस्तीन के प्रतीक, जैसे तरबूज, भी बने हुए थे, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिलिस्तीन के प्रतिरोध का प्रतीक माना जाता है। यह घटना उस समय सामने आई है जब प्रियंका गांधी ने इजरायल के सैन्य अभियानों की कड़ी आलोचना की थी और फिलिस्तीनियों के समर्थन में बयान दिए थे।  अब प्रियंका की ये तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल है, जिसपर लोग अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।

 

कुछ दिन पहले प्रियंका गांधी ने फिलिस्तीन दूतावास के कार्यवाहक प्रमुख अबेद एलराज़ेग अबू जाजर से मुलाकात की थी। इस बैठक में गाजा में चल रहे संघर्ष पर चर्चा हुई और भारत से युद्ध विराम के समर्थन में कदम उठाने की अपील की गई। इसके अलावा कांग्रेस ने अपनी कार्यसमिति (CWC) की बैठक में फिलिस्तीन के समर्थन में प्रस्ताव भी पारित किया, जिसमें इजरायल की कार्रवाइयों की निंदा की गई थी।  हालाँकि, इस प्रस्ताव में फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास के हमले का कोई जिक्र नहीं किया गया था, ताकि मुस्लिम वोट बैंक नाराज़ ना हो जाए, क्योंकि भारत के मुसलमान हमास को आतंकी नहीं मानते, जिस तरह फिलिस्तीन, पाकिस्तान जैसे अन्य देश कश्मीर में आतंक मचाने वाले जिहादियों को आतंकी नहीं मानते।

 

लेकिन कांग्रेस के इन क़दमों से यह सवाल उठता है कि कांग्रेस, जिसने फिलिस्तीन के लिए निंदा प्रस्ताव पारित किया, वह बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार पर क्यों चुप है? पिछले पाँच महीनों में बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथियों ने हिंदुओं की हत्याएँ कीं, उनके घर और मंदिर जलाए, और महिलाओं के साथ बलात्कार किए। इसके बावजूद कांग्रेस ने इस पर एक भी निंदा प्रस्ताव पास करने की हिम्मत नहीं दिखाई। इसकी वजह साफ है। बांग्लादेश में अत्याचार करने वाले मुस्लिम हैं, जो भारत में कांग्रेस के वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा हैं। कांग्रेस इस्लामिक कट्टरपंथियों के खिलाफ खुलकर बोलने से कतराती है, क्योंकि इससे उसके मुस्लिम वोट बैंक पर असर पड़ सकता है।  

 

अब सांसद बनते ही प्रियंका गांधी को हजारों किलोमीटर दूर चल रहे इजरायल-फिलिस्तीन युद्ध की चिंता होने लगी। उन्होंने संसद में फिलिस्तीन लिखे बैग के जरिए अपना समर्थन जताया। इससे यह धारणा बनी कि प्रियंका गांधी इस कदम के जरिए मुस्लिम वोट बैंक को और मजबूत करने की कोशिश कर रही हैं। भाजपा ने इस मामले को कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति करार दिया। भाजपा नेता संबित पात्रा ने प्रियंका के बैग को "तुष्टीकरण का थैला" बताया और कहा कि कांग्रेस हमेशा से अल्पसंख्यकों को खुश करने के लिए प्रतीकात्मक कदम उठाती रही है। पात्रा ने चुटकी लेते हुए कहा, "प्रियंका गांधी का यह बैग दिखाता है कि कांग्रेस की प्राथमिकता भारत के नागरिक नहीं, बल्कि विदेशों के मुद्दे हैं।"  

 

हालाँकि,  लगातार 3 लोकसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस के लिए ये चिंतन का समय है कि सिर्फ मुस्लिम वोटों के जरिए सरकार नहीं बनाई जा सकती, सत्ता के शीर्ष तक पहुँचने के लिए कांग्रेस को हिन्दुओं की भी चिंता करनी होगी। कांग्रेस अगर ये सोच रही हो, कि मुस्लिम आबादी बढ़ने के बाद सभी वोट उसे मिलेंगे, तो ये ग़लतफ़हमी है, क्योंकि, 1947 में भी मुस्लिम समुदाय ने कांग्रेस को दरकिनार कर एकतरफा मुस्लिम लीग का समर्थन किया था। आज भी यह सवाल उठता है कि यदि मुस्लिम समुदाय किसी दिन निर्णायक भूमिका में आ गया, तो क्या वे कांग्रेस के बजाय ओवैसी की AIMIM को समर्थन नहीं देंगे?  

कांग्रेस को यह समझना होगा कि इस सोशल मीडिया के जमाने में देश की जनता भी उसकी दोहरी राजनीति को भली-भाँति समझ रही है और इसका खामियाजा उसे आने वाले चुनावों में भुगतना पड़ सकता है। फिर कांग्रेस के पास EVM पर आरोप लगाने के अलावा और कोई चारा नहीं रह जाएगा। 

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