वाहनों के कारण प्रदुषण बढ़ता जा रहा है. इस बारे में WHO संगठन ने बताया कि दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरो में 13 शहर भारत देश के है. पेट्रोल-डीजल गाड़ियों के कारण बढ़ते प्रदूषण से बचने के लिए अब भविष्य के लिए वैकल्पिक ईंधन की जरूरत होगी. इसके लिए कुछ ऑटोमोबाइल कम्पनी ने इलेक्ट्रिक कार लाने की भी घोषणा कर दी है, किन्तु अब भी कुछ समस्या है जो इस रास्ते में अवरोध बन कर खड़ी है. इलेक्ट्रिक गाड़ी का मेनफेक्यूचर हो जाने के बाद उसे इस्तेमाल करने के लिए बेसिक प्लेटफॉर्म और इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है, जो सुविधा फ़िलहाल भारत में नहीं है.
इलेक्ट्रिक वाहनों पर तो जोर दिया जा रहा है किन्तु इसे चार्ज करने के लिए स्टेशन न के बराबर है. पेट्रोल, डीजल और सीएनजी आसानी से मिल जाती है, किन्तु चार्जिंग स्टेशन नहीं. इसलिए लोग इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने से बचते है. पेट्रोल-डीजल गाड़िया ट्रैफिक के कारण थोड़ा कम माइलेज देती है. ऐसी स्थिति में यदि इलेक्ट्रिक वाहनों की बात की जाए तो बैटरी को लेकर उसे अपनी उम्मीदों पर खरा उतरना होगा. इसके लिए बैटरी लॉन्ग लास्टिंग होना जरूरी है.
अभी तक जितने भी इलेक्ट्रिक वाहन आए है, उसकी स्पीड काफी कम है. इसलिए स्पीड पर ध्यान देना भी जरूरी है. वर्तमान की स्थिति में इलेक्ट्रिक वाहन पेट्रोल-डीजल वाहन की तुलना में महंगे है, ऐसी स्थिति में सरकार को आगे बढ़ कर ऑटोमोबाइल कम्पनी के साथ मिल कर सस्ते वाहन बनाने पर ध्यान देना चाहिए.
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