'अंडरवर्ल्ड से डरकर भागा प्रोड्यूसर', इस फिल्म को लेकर मनोज बाजपेयी का बड़ा खुलासा

'अंडरवर्ल्ड से डरकर भागा प्रोड्यूसर', इस फिल्म को लेकर मनोज बाजपेयी का बड़ा खुलासा
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बॉलीवुड के जाने माने मशहूर अभिनेता मनोज बाजपेयी का नाम जब भी आता है, उनकी फिल्म 'सत्या' का जिक्र अवश्य होता है. 1998 में आई इस फिल्म में मनोज को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अलग पहचान दिलाई थी. यहीं से उनके करियर में उछाल आया. अब एक इंटरव्यू के चलते मनोज ने बताया है कि कैसे 1997 में म्यूजिक प्रोड्यूसर, भजन गायक और बिजनेसमैन गुलशन कुमार के क़त्ल ने 'सत्या' के शूट पर लगाम लगा दी थी. मनोज बाजपेयी ने कहा कि फिल्म के क्रू के लिए वो एक सप्ताह बेहद मुश्किल भरा था. मनोज बाजपेयी ने बताया कि गुलशन कुमार के क़त्ल के बाद फिल्म 'सत्या' के ओरिजिनल प्रोड्यूसर बहुत डर गए थे. ऐसे में उन्होंने अपने हाथ पीछे खींच लिये थे. ये प्रोजेक्ट बीच में ही लटक गया था. किन्तु निर्देशक राम गोपाल वर्मा हार मानने को तैयार नहीं थे. ऐसे में उन्होंने एक सप्ताह के अंदर दूसरे प्रोड्यूसर ढूंढ निकाला था. 

सुशांत सिन्हा के यूट्यूब चैनल से चर्चा करते हुए मनोज बाजपेयी ने ये भी बताया कि कैसे मुंबई शिफ्ट होने के पश्चात् उन्हें मुश्किल का सामना करना पड़ा था. उन्होंने कहा कि फिल्म 'सत्या' के लिए उन्हें डेढ़ लाख रुपये मिले थे. ये उन्हें अच्छी डील लगी थी क्योंकि ये उनके लिए बड़ा मौका था. किन्तु जब उनकी किस्मत मोड़ ले रही थी तभी गुलशन कुमार का गोली मारकर क़त्ल कर दिया गया था. इसके पीछे अंडरवर्ल्ड का हाथ बताया गया था. मनोज बाजपेयी ने कहा, 'जब मुझे सत्या मिली थी मैंने किसी को नहीं बताया था. अपने रूममेट को भी नहीं. मैं हमेशा वहम में रहता था कि फिल्म कैंसिल हो जाएगी, जो कि कुछ दिन के लिए हुआ था. गुलशन कुमार की हत्या हमारे शूटिंग शुरू करने के 5 दिन बाद हो गई थी. फिल्म की शूटिंग रोक दी गई थी, क्योंकि प्रोड्यूसर डर गए थे. गुलशन कुमार का मर्डर इंडस्ट्री का बड़ा हादसा था तथा हम मुंबई माफिया पर फिल्म बना रहे थे. प्रोड्यूसर डर गया था तथा उसने फिल्म बंद कर दी थी. हमारे करियर जो अभी शुरू होने ही वाले थे, अचानक थम हो गए थे.' 

आगे मनोज बाजपेयी ने बताया, 'एक सप्ताह पश्चात् राम गोपाल वर्मा ने भरत शाह को ढूंढ निकाला. और फिर शूटिंग दोबारा शुरू हुई. हमने सत्या को अपना सबकुछ दे दिया था. हम सभी के लिए वो एक सप्ताह बेहद मुश्किल था. हममें से किसी को भी अंदाजा नहीं था कि क्या किया जाना चाहिए. सत्या हमारी आखिरी उम्मीद थी. वो अनिश्चितता बहुत डिप्रेसिंग और परेशान करने वाली थी. मैंने फैसला किया था कि मैं उम्मीद तब तक नहीं छोड़ूंगा जब तक राम गोपाल वर्मा नहीं कहते कि सबकुछ खत्म हो गया है. किन्तु उन्होंने कभी हार नहीं मानी. वो सिर्फ यही बोलते थे कि अब टेंपरेरी रूप से रुके हुए हैं. 8 दिन के पश्चात् हमें खुशखबरी मिली थी.' वही इससे पहले राम गोपाल वर्मा ने अपनी ऑटोबायोग्राफी 'गन्स एंड थाईज' में बताया था कि गुलशन कुमार के क़त्ल के चलते 'सत्या' शेप हुई थी. उन्होंने अंडरवर्ल्ड के लोगों के बारे में गहराई से सोचा था, जिसे बाद में फिल्म में दिखाया गया. 'सत्या' आज भी हिंदी सिनेमा की शानदार फिल्मों में से एक मानी जाती है. मनोज बाजपेयी अब इंडस्ट्री के दिग्गज स्टार्स बन चुके हैं. 

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