मिसाईल तकनीक में विदेशी कंपनियों की तुलना में DRDO ने मारी बाजी

मिसाईल तकनीक में विदेशी कंपनियों की तुलना में DRDO ने मारी बाजी
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नईदिल्ली। मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट को बढ़ाने के उद्देश्य से रक्षा मंत्रालय ने विदेशी कंपनियों की तुलना में भारत के ही डीआरडीओ को महत्व दिया है। दरअसल डीआरडीओ को सेना के लिए मिसाईल प्रोजेक्ट का कार्य दिया गया है। यह काॅन्ट्रेक्ट 18 हजार करोड़ रूपए में तय हुआ है। मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में रक्षा अधिग्रहण परिषद जिसे डीएसी कहा जाता है उसमें चर्चा की गई। बैठक में रक्षामंत्री अरूण जेटली ने भारत की मिसाईल प्रणाली को उन्नत करने पर बल दिया।

उन्होंने कहा कि जमीन से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाईल को महत्व दिया जाए। बैठक में डीआरडीओ को लेकर भी चर्चा हुई। हालांकि सैन्य उपकरणों को लेकर भले ही यह बात आती रही है कि डीआरडीओ विदेशी तकनीक को लेकर काफी पीछे है लेकिन इसके बाद भी इसकी मिसाईल तकनीक बहुत ही उन्नत है।

शीर्ष सैन्य सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मिसाईल्स को पाकिस्तान व चीन पर तैनात कर दिया जाएगा। मिली जानकारी के अनुसार बैठक में रक्षामंत्री ने मिसाईल्स को पाकिस्तान और चीन के संभावित ड्रोन हमले में कारगर होने को लेकर चर्चा की। उन्होंने चर्चा की कि भारत को आकाश मिसाईल पर कार्य करना चाहिए या फिर विदेश निर्मित किसी मिसाईल को खरीदना चाहिए।

मगर मिसाईल तकनीक में डीआरडीओ को बेहतर बताया गया। गौरतलब है कि भारत रूस के सहयोग से सुरपसोनिक मिसाईल ब्रह्मोस का निर्माण कर चुका है। भारत की मिसाईल तकनीक बहुत ही उन्नत है। उसके पास अग्नि, पृथ्वी श्रेणी की उन्नत मिसाईलें हैं।

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