नई दिल्ली: बीते दिनों मीडिया में एक खबर जमकर चली थी कि सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात की लोअर कोर्ट के 68 न्यायिक अधिकारियों के जिला जज के रूप में प्रमोशन पर रोक लगा दी है। मीडिया रिपोर्ट्स में, इन जजों में जज हरीश वर्मा का नाम भी जोड़कर बताया गया था। बता दें कि, जज हरीश वर्मा ने ही मोदी सरनेम वाले मानहानि केस में राहुल गाँधी को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई थी। मगर, प्रमोशन पर स्टे लगाने वाले सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एमआर शाह ने बताया है कि मीडिया ने आदेश को गलत तरीके से रिपोर्ट किया है। साथ ही जस्टिस शाह ने यह भी बताया है कि इस आदेश के दायरे में राहुल गाँधी को सजा सुनाने वाले जज नहीं आएँगे।
Did the Surat court judge who convicted #RahulGandhi get promoted?
— Debayan Roy (@DebayonRoy) May 15, 2023
Watch the interview to know what happened. Justice MR Shah confirms to @barandbench that indeed the judge got promoted!
Video link: https://t.co/ozD7mHTz64 pic.twitter.com/xRcq0ZJoNr
रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस शाह ने कहा है कि यह स्टे आर्डर, योग्यता के आधार पर होने वाले प्रमोशन पर लागू नहीं होगा। उन्होंने कहा कि, 'जजों के प्रमोशन पर स्टे लगाने वाले आर्डर का किसी एक व्यक्ति से लेना-देना नहीं है। मामला यह था कि प्रमोशन का पैमाना योग्यता सह वरिष्ठता हो या फिर वरिष्ठता सह योग्यता। सोशल मीडिया पर चल रही खबरों में कहा जा रहा है कि सर्वोच्च न्यायालय ने सभी 68 न्यायाधीशों के प्रमोशन पर रोक लगा दी है। मगर, ऐसे लोगों ने कोर्ट का आदेश नहीं पढ़ा है। सिर्फ ऐसे प्रमोशन पर रोक लगाई गई है जिन्हें मेरिट लिस्ट में नहीं होने के बाद भी सिर्फ वरिष्ठता के आधार पर प्रमोशन दिया गया था।'
न्यायमूर्ति शाह के मुताबिक, जस्टिस हरीश वर्मा, प्रमोशन पर रोक के इस पैमाने के दायरे में नहीं आते। उन्होंने कहा कि, 'मैंने पढ़ा है कि सज्जन (राहुल गाँधी केस में सूरत कोर्ट के न्यायमूर्ति हरीश वर्मा) को प्रमोशन नहीं मिल रहा है। यह भी सच नहीं है। उन्हें मेरिट के आधार पर प्रमोशन दिया जा रहा है। वह योग्यता के मामले में 68 जजों में से पहले स्थान पर हैं।'
बता दें कि शुक्रवार (12 मई) को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की बेंच ने जजों के प्रमोशन पर रोक लगाई थी। फैसले में कोर्ट ने कहा था कि, 'राज्य सरकार ने याचिका लंबित रहने के दौरान नोटिफिकेशन जारी की है। हम उच्च न्यायालय की सिफारिश और राज्य सरकार की अधिसूचना पर रोक लगाते हैं और न्यायाधीशों को उनके मूल पद पर वापस भेजते हैं।' हालाँकि, अब जस्टिस एमआर शाह ने बताया है कि, राहुल को सजा सुनाने वाले जज इस दायरे में नहीं आते हैं।
क्या है मामला:-
बता दें कि 68 जजों के प्रमोशन को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। सीनियर सिविल जज कैडर के 2 अधिकारियों ने अपनी याचिका में कहा था कि 65 फीसद कोटा नियम के तहत इन न्यायाधीशों का प्रमोशन किया गया, जो कि अवैध है। याचिका में दलील दी गई थी कि प्रमोशन मेरिट कम सीनियरिटी के सिद्धांत पर की जानी चाहिए। याचिका दाखिल करने वाले न्यायिक अधिकारी रवि कुमार मेहता और सचिन प्रजापराय मेहता ने अपनी याचिका में कहा था कि कई ऐसे न्यायमूर्ति हैं, जिन्होंने प्रमोशन के लिए हुई परीक्षा में अधिक अंक हासिल किए हैं। इसके बाद भी उनका सिलेक्शन नहीं किया गया और उनसे कम अंक पाने वाले जजों का प्रमोशन कर दिया गया।
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