विज्ञानियों का मानना है कि यदि एलियंस कहीं मौजूद हैं तो वे अवश्य ही ब्लैक होल से ऊर्जा खींच रहे होंगे। यदि हमें इनकी तलाश करनी है तो ब्लैक होल के आसपास ही इनके प्रमाण को सर्च करना होगा। जंहा इस बात का पता चला है कि चक्री की तरह घूमने वाले ब्लैक होल की सीमा पर एलियंस की ऊर्जा दोहन टेक्नोलॉजी के चिन्ह अवश्य मौजूद हो सकते है। इस सीमा को वैज्ञानिक इवेंट होराइजन बोलते हैं। इवेंट होराइजन दरअसल ब्लैक होल के इर्दगिर्द अंतरिक्ष का वह इलाके है, जहां से कुछ भी बाहर नहीं निकल सकता। यहां तक कि प्रकाश भी बाहर नहीं आ सकता। यह नाम इसलिए पड़ा, क्योंकि इस क्षेत्र के अंदर हो रही घटनाओं को देख पाना असंभव है। दूसरे शब्दों में यह एक ऐसा क्षितिज है, जिसके आगे हमें दिखाई नहीं देता है। मिली जानकारी के अनुसार ब्लैक होल अंतरिक्ष का वह इलाके है, जहां गुरुत्वाकर्षण खिंचाव इतना तगड़ा होता है कि जिनमे से कोई चीज बाहर नहीं जा सकती। बड़े तारे के मध्य भाग के ढहने से ब्लैक होल बनाते जा रहे है। कुछ ब्लैक होल्स का द्रव्यमान सूरज से अरबों गुणा अधिक होता है। ये दैत्याकार ब्लैक होल बनते कैसे हैं, यह अभी कोई नहीं जानता।
वहीं यह भी कहा जा रहा है कि ब्लैक होल असीमित और अनंत ऊर्जा के स्नेत भी हैं। प्रश्न है कि क्या कभी मनुष्य भी इस अनंत ऊर्जा का दोहन कर पाएगा? सबसे नजदीकी ब्लैक होल तकरीबन 1000 प्रकाश वर्ष दूर है। वहां तक पहुंचना असंभव है। यदि खगोलविद् इन ब्लैक होल्स से ऊर्जा निकलने का कोई तरीका खोज लें तो ये तकनीकी रूप से उन्नत सभ्यता के लिए असीमित ऊर्जा के स्नेत बन सकते हैं। न्यूयॉर्क स्थित कोलंबिया यूनिवर्सटिी के खगोलविद् और इस अध्ययन के सह-लेखक लुका कमिसो ने बोला कि "हमारा अगला लक्ष्य यह पता लगाना है कि किसी ब्लैक होल से जानबूझकर ऊर्जा निकालने की प्रक्रिया दूरवर्ती पर्यवेक्षकों को कैसे दिखेगी। इससे मनुष्य को दूरवर्ती पारलौकिक सभ्यताओं का पता लगाने में मदद मिल सकती है। इस अध्ययन के मुताबिक ब्लैक होल से ऊर्जा के चिन्ह उस वक्त निकलते हैं जब बल विपरीत दिशाओं में खिंचता है। उस समय प्रचंड ऊर्जा निकलती है।"
विज्ञानियों का मानना है कि ब्लैक होल प्लाज्मा ऊर्जा कणों के गर्म सूप से घिरा होता है। इनमें चुंबकीय क्षेत्र होता है। एक थ्योरी यह कहती है कि जब चुंबकीय क्षेत्र की लाइनें सही तरीके से जुड़ती और अलग होती हैं तब वे प्लाज्मा कणों को गति देकर 'निगेटिव एनर्जी' उत्पन्न करती हैं। इस प्रकार ब्लैक होल से बड़ी मात्र में ऊर्जा निकाली जा सकती है। इस नए अध्ययन से विज्ञानियों को विभिन्न किस्म के ब्लैक होल्स के रहस्यों को उजागर करने में मदद मिलेगी।
होली या 1 अप्रैल! जानिए कबसे चलेंगी सभी पैसेंजर ट्रेनें, रेलवे का आया बड़ा बयान