'हिन्दुओं की रक्षा करो, वरना..', बांग्लादेश को पुरी शंकराचार्य ने क्या चेतावनी दी ?

'हिन्दुओं की रक्षा करो, वरना..', बांग्लादेश को पुरी शंकराचार्य ने क्या चेतावनी दी ?
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पुरी: बांग्लादेश में हिंदुओं, बौद्धों, और सिखों के खिलाफ बढ़ते अत्याचारों ने गंभीर चिंता पैदा कर दी है। हाल ही में पुरी के शंकराचार्य श्री निश्चलानंद सरस्वती ने इस स्थिति पर कड़ा बयान देते हुए बांग्लादेश को चेतावनी दी है। गंगासागर मेले में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने हिंदू समुदाय पर हो रहे हमलों पर गहरी चिंता जताई और स्पष्ट किया कि यदि बांग्लादेश ने इस पर रोक नहीं लगाई, तो उसे "गंभीर परिणाम" भुगतने होंगे।

बांग्लादेश में हिंदू समुदाय लगातार हिंसा और उत्पीड़न का शिकार हो रहा है। इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा उनके मंदिरों में तोड़फोड़, महिलाओं के साथ बलात्कार, पुरुषों की निर्मम हत्याएं, और उनकी संपत्तियों पर कब्जा आम हो गया है। हिंदुओं को उनके त्यौहार मनाने से रोका जा रहा है और उन्हें जबरन इस्लाम कबूलने की धमकियां दी जा रही हैं। इन घटनाओं को लेकर पुरी शंकराचार्य ने बांग्लादेश को याद दिलाया कि यह ऐतिहासिक रूप से भारत का हिस्सा रहा है। उन्होंने कहा कि बंगाल के कई मुसलमानों के पूर्वज हिंदू थे, जिन्होंने विभिन्न परिस्थितियों में इस्लाम अपनाया। उन्होंने यह अपील की कि मुसलमानों को यह समझना चाहिए कि जिनके पूर्वज हिंदू थे, वे उनके अपने रिश्तेदार हैं। 

हालाँकि, इन अत्याचारों के बावजूद, दुनिया भर में मानवाधिकारों का झंडा उठाने वाले संगठनों की चुप्पी और उदासीनता बेहद शर्मनाक है। ये संगठन, जो अन्य धर्मों या समुदायों के मामलों में आवाज उठाने में अग्रणी रहते हैं, हिंदुओं के नरसंहार और उत्पीड़न पर खामोश हैं। शंकराचार्य ने स्पष्ट कहा कि यदि हिंदुओं पर अत्याचार जारी रहा, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। उन्होंने कहा कि हिंदू समुदाय, जो इतने कष्ट सहते हुए भी अपने धर्म और संस्कृति से जुड़ा हुआ है, वह सम्मान का पात्र है। उन्होंने बांग्लादेश सरकार से अपील की कि वह देश में सांप्रदायिक सौहार्द को बनाए रखने के लिए कदम उठाए और कट्टरपंथियों पर सख्त कार्रवाई करे। 

बांग्लादेश में हिंदू, बौद्ध और सिख समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करना अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी है। शंकराचार्य ने यह भी कहा कि समुदायों के बीच आपसी सम्मान और भाईचारा ही स्थायी शांति का मार्ग है। यदि इन समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो इसके परिणाम केवल बांग्लादेश ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए घातक होंगे। यह समय है कि अंतरराष्ट्रीय संगठनों और पड़ोसी देशों को इस मुद्दे पर ध्यान देकर पीड़ित समुदायों की सुरक्षा और सम्मान के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।

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