नई दिल्ली : वर्ष 2016 में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ)कुछ गलत फैसलों को लेकर सुर्ख़ियों में रहा तो दूसरी तरफ पीएफ दावों के इलेक्ट्रॉनिक निपटान समेत अपने करीब चार करोड़ अंशधारकों को ऑनलाइन सेवाएं उपलब्ध कराकर अपने काम को पूरी तरह डिजिटलीकरण करने पर जोर देना प्रमुख उपलब्धि रही.
बता दें कि अप्रैल में ईपीएफओ ने सदस्यों द्वारा दो महीने से अधिक समय तक बिना नौकरी के रहने पर शत प्रतिशत पीएफ निकासी पर रोक लगा दी थी.पीएफओ ने सदस्यों की बचत को बढ़ावा देने के इरादे से पीएफ निकासी पर सीमा लगाने का फैसला किया था. इसी तरह दावे के लिये आयु सीमा 54 साल से बढ़ाकर 58 साल किया गया. इसमें यह शामिल किया गया कि उन महिला सदस्यों के मामले में दो महीने की बेरोजगारी की शर्त लागू नहीं होगी जो शादी या बच्चे के जन्म की वजह से इस्तीफा देती हैं,लेकिन इस फैसले का पुरजोर विरोध तथा कुछ जगहों पर हिंसक घटनाएं होने से सरकार ने अपने कदम पीछे खींच लिये थे.ईपीएफओ का तीसरा विवादास्पद फैसला पीएफ कोष के 60 प्रतिशत हिस्से पर कर लगाने के बजट प्रस्ताव को वापस लेना पड़ा था. इतना ही नहीं चौतरफा आलोचना के बाद सरकार को 2015-16 के लिये भविष्य निधि जमा पर ब्याज कम कर 8.7 प्रतिशत करने के फैसले को वापस लेना पड़ा और वह 8.8 प्रतिशत करने पर सहमत होना पड़ा था.
इस बारे में केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त वीपी जॉय ने कहा कि ईपीएफओ में वर्ष 2017 में कई आनलाइन सुविधाएं देखने को मिलेंगी जिसमें डिजिटल इंडिया के दृष्टिकोण तथा बेहतर गतिविधियां शामिल हैं. ईपीएफओ के डाटाबेस को केंद्रीकृत प्लेटफार्म के जरिये एकीकृत बनाया जाएगा. इससे रिकार्ड तथा सदस्यों के खाते वास्तविक समय पर अपडेट हो सकेंगे. नियोक्ताओं के लिये प्रक्रिया सरल होगी तथा ईपीएफओ को और कुशल बनाया जाएगा ताकि वह बेहतर तरीके से ऑनलाइन सेवाएं उपलब्ध करा सके दावों के लिये आवेदन आनलाइन किया जा सकेगा जिसमें पीएफ निकासी और पेंशन निर्धारण शामिल हैं.