नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए देश के आठ बैंकों को मर्ज कर दिया है। सरकार ने इसके साथ ही कामकाज में सुधार की दिशा में भी कई उपायों की घोषणा की है। इनके तहत बैंक के बोर्ड को ज्यादा अधिकार देने के साथ साथ उन्हें स्वायत्त बनाने संबंधी कदम भी उठाए गए हैं। अब स्वतंत्र निदेशकों की भुगतान राशि बैंक बोर्ड खुद तय कर पाएंगे और बैंक के बाहर से चीफ रिस्क ऑफिसर की नियुक्ति भी कर सकेंगे।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों के विलय के साथ साथ कामकाज में सुधारों का एलान करते हुए कहा, ‘बैंकों के प्रबंधन को बोर्ड के प्रति ज्यादा जवाबदेह बनाने के लिए सरकारी बैंकों की बोर्ड कमेटी अब महाप्रबंधक और उससे ऊपर के अधिकारियों के परफॉर्मेस का आकलन करेगी। इन अधिकारियों में बैंकों के प्रबंध निदेशक भी शामिल होंगे। विलय के बाद बैंकों को अपने कारोबार की जरूरत के अनुसार मुख्य महाप्रबंधक का पद सृजित करने का अधिकार भी बोर्ड के पास रहेगा।
सीतीरमण ने कहा कि बैंक के बाहर से चीफ रिस्क ऑफिसर नियुक्त करने की छूट देने से बैंक बेहतर टेलेंट आकर्षित कर पाएंगे। इन अधिकारियों के वेतन संबंधी फैसला लेने में भी बोर्ड के अधिकारों को लचीला बनाया गया है। इसके साथ ही बैंकों में उत्तराधिकार की प्रक्रिया को भी महत्व दिया जा रहा है। अब बोर्ड ऐसा सिस्टम तैयार कर सकेंगे जिससे वरिष्ठ अधिकारियों को अधिक जिम्मेदार पदों पर नियुक्ति के लिए पहले से ही तैयार रखा जा सके। इतना ही नहीं अब बैंक के महाप्रबंधक और उससे ऊपर के स्तर के अधिकारियों के लिए दो वर्षो का कार्यकाल सुनिश्चित करने का अधिकार भी बोर्ड के पास होगा।
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