नई दिल्ली: इस साल कम उत्पादन से दाल की कीमतें बढ़ सकती हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने वाणिज्य मंत्रालय को सलाह दी है कि दाल आयात की मात्रा पर लगा प्रतिबंध हटाकर आयात बढ़ाया जाए। इस वर्ष सरकार ने अरहर दाल के आयात के लिए चार लाख टन का कोटा तय किया गया था, जो 15 नवंबर को खत्म होने जा रहा है। आयात की तारीख मुंग और उड़द के लिए पहले ही 31 अक्टूबर को खत्म हो चुकी है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक सीनियर अफसर ने बताया, 'प्याज की तरह दाल की कीमतों में भी उछाल आ सकता है। मंजूरी में देरी होने पर आयात का लाभ नहीं उठाया जा सकेगा।'
विशेष तौर पर दाल के भाव बढ़ते जा रहे हैं, अरहर दाल की कीमत 100 रुपये प्रति किलो के पार हो चुकी है। खाद्य मंत्रालय के अनुसार, घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त दाल है, पर किसी भी प्रकार के उतार-चढ़ाव से इसकी कमी हो सकती है। अफसर ने कहा हैं, 'हमें आयात के जरिए सप्लाई बढ़ाने की जरूरत है, ताकि दबाव कम किया जा सके। आयात पर प्रतिबंध लगाना तब सही होता, जब आपके पास पर्याप्त उत्पादन हो। परन्तु, दाल की पैदावार कम होने की संभावना के बीच आयात पर प्रतिबंध लगाने से कीमतें बढ़ेंगी।'
देश में इस साल बफर स्टॉक को मिलाकर लगभग 256 लाख टन दाल का स्टॉक रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। वहीं मांग 254 लाख टन रह सकती है। इसका अर्थ यह है कि हमारे पास जरूरत पूरा करने के लिए स्टॉक कमोबेश उपलब्ध है। सरकार के पास अभी अरहर दाल का 8 लाख टन और चने का 15 लाख बफर स्टॉक है। भारी बारिश से फसलों को नुकसान पंहुचा हैं| अफसर ने कहा, 'कर्नाटक और महाराष्ट्र में भारी वर्षा से अरहर समेत अन्य दालों की फसलों को नुकसान पहुंचा है। हमें बढ़ती कीमतों को सामान्य स्तर पर लाने के लिए दाल का आयात करना होगा।' मध्य प्रदेश जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में उड़द की लगभग 50 पर्सेंट फसल खराब हो गई है। भरी वर्षा के चलते खड़ी फैसले बुरी तरह प्रभावित हुई हैं| सरकार रोजाना दाल की कीमतों पर नजर रख रही है।
सप्ताह के आखरी दिन सेंसेक्स में आया भारी उछाल, जानिए क्या है निफ़्टी का हाल
महंगा होने जा रहा है ट्रेनों में चाय-नास्ता, और खाना, चार महीने के बाद लागू होंगी नई दरें