PM की सुरक्षा में चूक, बार-बार बयान बदल रहे चन्नी, प्रदर्शनकारियों के साथ चाय पी रही पंजाब पुलिस, Video

PM की सुरक्षा में चूक, बार-बार बयान बदल रहे चन्नी, प्रदर्शनकारियों के साथ चाय पी रही पंजाब पुलिस, Video
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अमृतसर: पंजाब के बठिंडा में पीएम मोदी की सुरक्षा में बड़ी चूक की वजह से प्रदर्शनकारियों को उनके रूट का पता चल गया और फ्लाईओवर पर भीड़ इकठ्ठा हो गई। इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी को अपनी फिरोजपुर रैली को निरस्त कर के वापस लौटना पड़ा। इस बारे में सीएम चरणजीत सिंह चन्नी निरंतर अपने बयान बदल रहे हैं। पहले उन्होंने कहा था कि रैली में 70,000 कुर्सी लगी थी, मगर 700 लोग ही आए। फिर उन्होंने इस घटना को ‘कुदरती’ बता दिया। कांग्रेस पार्टी द्वारा कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे अनुभवी प्रशासक को हटा कर CM बनाए गए चरणजीत सिंह चन्नी ने PM की सुरक्षा में किसी किस्म की सेंध या चूक की बात को नकारते हुए कहा कि एन वक़्त में योजना बदल दी गई थी। 

इसके बाद अपने बयान में चन्नी ने कहा कि देर रात तक वो खुद पीएम मोदी के दौरे को लेकर सुरक्षा व्यवस्था पर निगाह रख रहे थे। वहीं डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा ने सीएम चन्नी के बयान के उलट यह स्वीकार किया है कि पीएम मोदी की सुरक्षा में सचमुच चूक हुई है। बता दें कि कांग्रेस के नेता दोपहर से ही खाली कुर्सियों की तस्वीरें शेयर कर-कर के यह दावा कर रहे थे कि भीड़ न होने के कारण पीएम मोदी में रैली रद्द की है। जबकि भाजपा नेताओं ने तस्वीरें और वीडियोज जारी कर यह दिखा दिया कि सुबह से ही लोग पीएम मोदी को सुनने के लिए रैली स्थल पर पहुंच गए थे और कार्यक्रम स्थल पर भारी भीड़ थी। भाजपा IT सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित मालवीय ने कहा कि CS और DGP को पीएम नरेंद्र मोदी के काफिले के साथ होना चाहिए था, मगर इस बार ये दोनों ही नदारद थे।

 

CM चन्नी का भी कहना है कि कुछ कोरोना संक्रमितों के संपर्क में आने की वजह से उन्होंने अपने आप को आइसोलेट कर लिया है और इसीलिए वो पीएम मोदी को रिसीव करने नहीं पहुंच पाए। अमित मालवीय ने पंजाब सरकार पर लगातार झूठ बोलने के इल्जाम लगाए। इसी प्रकार मीडिया में पहले खबर आई कि फिरोजपुर के SSP को सस्पेंड कर दिया गया है, किन्तु सीएम चन्नी ने फिर इस खबर को ख़ारिज कर दिया। अब सीएम चन्नी यह मान रहे हैं कि पीएम मोदी के रूट में प्रदर्शनकारियों के होने की उन्हें जानकारी थी। बता दें कि PM को कहीं भी जाना हो, तो पहले उस रूट की रिहर्सल की जाती है, जो इस बार भी हुआ था। इससे ये दावा गलत साबित हो जाता है कि अंतिम वक़्त में योजना बदलने से समस्या हुई। 

 

वीडियो में ये भी दिखाई दे रहा है कि पंजाब पुलिस उन प्रदर्शनकारियों के साथ चाय की पी रही थी, जिन्होंने पीएम मोदी के काफिले को 20 मिनट तक रोककर रखा। जिस जगह ये घटना हुई, वो पाकिस्तान की बॉर्डर से महज 30 किमी दूर है। वहाँ से आए दिन बम बरामद होते रहते हैं। मीडिया के सामने ही प्रदर्शनकारी ये स्वीकार करते हुए नज़र आ रहे हैं कि उन्हें पीएम मोदी के रूट की पूरी जानकारी थी। सवाल ये है कि जब ये जानकारी केवल पंजाब पुलिस को ही थी, तो फिर प्रदर्शनकारियों तक सारी बातें कैसे पहुंची? प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने कई बसों में तोड़फोड़ की थी और भाजपा कार्यकर्ताओं पर भी हमले किए थे। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो पीएम मोदी की सुरक्षा वहाँ कमजोर हो गई थी और कुछ भी हो सकता था। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन सबका दोषी कौन ? 

 

वहीं ‘भारतीय किसान संघ (क्रांतिकारी)’ नामक संगठन ने प्रधानमंत्री के काफिले को रोकने रखने की जिम्मेदारी ली है। पियारेना गाँव के पास ये घटना घटी थी। BKU (क्रांतिकारी) के महासचिव बलदेव जीरा ने कहा है कि उन्होंने यह करके ‘अभिमानी’ मोदी को सबक सिखाया है।  बता दें कि ये संगठन वामपंथी है और ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ में शामिल है। 2009 में यूनियन के अध्यक्ष सुरजीत फूल माओवादियों से ताल्लुक रखने कि वजह से UAPA के तहत अरेस्ट भी किए गए थे। 31 दिसंबर, 2021 को ही किसान संगठनों ने बरनाला में मीटिंग कर इस दौरे को बाधित करने की योजना बना ली थी।

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