अमृतसर: मोदी सरकार के कृषि अध्यादेश-2020, बिजली अध्यादेश-2020, डीजल-पेट्रोल की निरंतर बढ़ रही कीमतों के खिलाफ और जेलों में कैद बुद्धिजीवियों को रिहा करने की मांग लेकर पंजाब के 12 किसान संगठनों ने आज राज्य के 21 जिलों में विशाल ट्रैक्टर मार्च निकाला। इसके साथ ही सरकार के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन भी किया।
लगभग 15 हजार से अधिक ट्रैक्टर विरोध स्वरूप सूबे की सड़कों पर उतरे और हजारों किसानों ने शिरोमणि अकाली दल और भाजपा के सांसदों, विधायकों और वरिष्ठ नेताओं के घरों तथा कार्यालयों का घेराव किया। यह एक अभूतपूर्व विरोध प्रदर्शन था। पंजाब में बीते एक पखवाड़े से किसान संगठनों ने मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ रखा हैं। पिछले सप्ताह भी एक विशाल ट्रैक्टर मार्च निकाला गया था। इस बार के प्रदर्शन में किसान संगठनों ने एकजुट होकर प्रदेश के एक कोने से दूसरे कोने तक ट्रैक्टर मार्च निकाला।
अपने संबोधनों में किसान नेताओं ने केंद्र के नए कृषि अध्यादेश और बिजली कानून-2020 को किसान और कृषि विरोधी करार देते हुए देश के संघीय ढांचे पर हमला बताया है। नए अध्यादेश वापिस न लेने की सूरत में विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने और अधिक तीखे संघर्ष की चेतावनी दी है। हर जगह किसान नेताओं ने बादलों की सरपरस्ती वाले शिरोमणि अकाली दल (शिअद) से कहा कि यदि वह किसानों की शुभचिंतक है, तो फ़ौरन भाजपा से नाता तोड़े और केंद्र सरकार के खिलाफ पंजाब के किसानों के संघर्ष में शामिल हो।
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