भारत के राज्य पंजाब में खराब वित्तीय हालत को सुधारने के लिए तरह-तरह की कवायद में लगी कैप्टन अमरिेंदर सिंह सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने अनुसूचित जाति, पिछड़े वर्ग में क्रीमी लेयर को दी जाती 200 यूनिट मुफ्त बिजली बंद कर दी गई है. कयास लगाए जा रहे हैं किे क्या अगला नंबर बड़े और मध्यम किसानों का है. दस एकड़ से ज्यादा मध्यम और बड़े किसानों को अगर सब्सिडी से बाहर कर दिया जाता है तो सरकार 3907 करोड़ रुपये बचा सकती है.
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि दो दिसंबर 2019 को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने वित्त विभाग के साथ मीटिंग की थी. जिसमें राज्य की वित्तीय स्थिति को पटरी पर लाने के लिए सब्सिडियों को तर्कसंगत करने का फैसला किया गया था. साथ ही अन्य विभागों के खर्चों को भी कम करने की योजना तैयार की गई.
अगर आपको नही पता तो बता दे कि अनुसूचित जाति, पिछड़े और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) वालों को 200 यूनिट बिजली नि:शुल्क देने के मामले में यह तथ्य सामने आया कि इसमें से क्रीमी लेयर को बाहर किया जाए और एक किलोवाट तक के लोड वाले केवल गरीब लोगों को यह सुविधा प्रदान की जाए. मीटिंग में बड़े और मध्यम किसानों को दी जाने वाली बिजली सब्सिडी भी बंद करने का सुझाव दिया गया था. इस समय किसानों, एससी और उद्योगों को कुल 9,674 करोड़ रुपये की बिजली सब्सिडी दी जा रही है. इसमें किसानों को 6,060 करोड़, एससी, बीसी समुदाय को 200 यूनिट फ्री देने में 1623 करोड़ और इंडस्ट्री को 1990 करोड़ रुपये की सब्सिडी मिल रही है. इसके अलावा तीन हजार करोड़ का पिछला बकाया भी है. यानी चालू वित्त वर्ष में सरकार को 12397.71 करोड़ रुपये की सब्सिडी देनी है.
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