चंडीगढ़: देश में लम्बे समय से जारी बहस शहीद-ए-आज़म के खिताब से नवाज़े गए भगत सिंह को शहीद का औपचारिक दर्जा देने की मांग को लेकर चल रही है. जिस पर पंजाब सरकार ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं. सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 18 के तहत एबोलिशन ऑफ़ टाइटल्स नियम का हवाला देते हुए कहा है कि सरकार फौजियों के अलावा किसी को कोई टाइटल नहीं दे सकती.
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट हरि चंद अरोड़ा ने सरकार को पत्र लिखकर भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु को शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग की थी. इस पत्र के जवाब में सरकार ने इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च द्वारा प्रकाशित किताब डिक्शनरी ऑफ मार्टियर्स : इंडियाज फ्रीडम स्ट्रगल का जिक्र करते हुए कहा है कि इस किताब में भारत के शहीदों का वर्णन है. सरकार भी शहीदों के सम्मान में समय-समय पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित करती है.
पंजाब में शहीदों के स्मारक भी बनाए गए हैैं और शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए सरकारी छुट्टी का प्रावधान भी है. हाल ही में क्रांतिकारी शहीद सुखदेव के परिजनों ने केंद्र सरकार से भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु को शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग की थी. इन तीनों शहीदों के प्रति सरकारी उपेक्षा से परेशान सुखदेव के परिजनों ने चेतावनी दी थी कि तीनों को शहीद का दर्जा न मिलने पर भूख हड़ताल करेंगे.
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