पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सुरक्षा से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के बीच स्पष्ट किया है कि मुस्लिम लड़की की हिंदू लड़के से शादी को वैध नहीं मानी जाएगी। हालांकि हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि दोनो बालिग हैं और ऐसे में शादी की तरह वे सहमति संबंध (लिव इन रिलेशनशिप) में रह सकते हैं। याचिका दर्ज करते हुए प्रेमी जोड़े ने हाईकोर्ट को कहा कि 18 वर्षीय लड़की मुस्लिम है और हिंदू लड़के की आयु 25 साल है।
जंहा इस बात का पता चला है कि दोनों ने हिंदू रीति- रिवाज से 15 जनवरी को शिव मंदिर में विवाह कर लिया था। विवाह के उपरांत से ही दोनों को उनके परिवार वालों से जान का खतरा है। अपनी जान की सुरक्षा के लिए याचिकाकर्ताओं ने अंबाला के एसपी से भी गुहार लगा चुकी थी लेकिन कोई कदम नहीं उठाया गया। जिसके उपरांत अब याची के पास हाईकोर्ट के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं बचा।
हाईकोर्ट ने बोला कि मुस्लिम लड़की का हिंदू लड़के से विवाह कानूनी रूप से वैध नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा कि जब तक लड़की हिंदू धर्म अपनाकर रीति- रिवाज से विवाह न कर ले तब तक शादी को अवैध माना जाता है। इस केस में लड़की ने अपना धर्म परिवर्तन नहीं किया है और ऐसे में इस विवाह को हिंदू विवाह अधिनियम के तहत वैध नहीं मान सकते है। हालांकि हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि दोनों बालिग हैं और विवाह वैध न होने पर भी वह विवाहितों की तरह सहमति संबंध में रह सकते हैं। हाईकोर्ट ने अब अंबाला के एसपी को आदेश दिया है कि वह सुरक्षा से जुड़ी याचिकाकर्ताओं की मांग पर जल्द से जल्द निर्णय किया जाना चाहिए।
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