पंजाब में रूपनगर के नांगल शहर में स्थित जुल्फा माता मंदिर हिंदूओं का प्रसिद्ध मंदिर माना जाता हैं. इसका कारण ये है कि यह 51 शक्ति पीठों में से एक है और बहुत ही अहम है. इसके पीछे भी गांव वाले एक कहानी बताते हैं जो चली आ रही है. वहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि एक बार सपने में माता के परम भक्त ऋषि जयमल को दर्शन दे कर बताया था कि उनकी जटाएं पहाड़ी की चोटी के ऊपर अमुख वृक्ष के पास जमीन के नीचे हैं, जो अब पिंडी के रूप में हैं. उस स्थान पर जाकर मेरी भक्ति करो, तो आप पर अवश्य मैं कृपा करुंगी. इसी के बाद ऋषि ने माता की पिंडी को बाहर निकल वहां एक छोटा सा मंदिर बनवाया. माता की जुल्फें गिरने पर उस जगह का नाम जुल्फा देवी रखा गया.
इसके अलावा इस मंदिर के पीछे एक और पौराणिक कथा है. कहा जाता है, जब देवी सती अपने पिता दक्ष के द्वारा चल रहे यज्ञ कुंड में कूद गयी थी. तब भगवान शिव मौत का तांडव करने लग गए थे और वह देवी सती का शरीर लेकर जा रहे थे, तब माता सती के बाल इसी जगह गिरे थे, इसीलिए इसे जुल्फा देवी मंदिर कहा जाता है. मंदिर के मेन गेट पर भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित है. ये भी कहा जाता है कि इसी जगह पर भगवान शिव ने तांडव भी किया था.
इतना ही नहीं, यहां माता के दर्शन पिंडी रुप में होते हैं. लोगों का कहना है कि इस पेड़ पर मौला या लाल धागा बाधंने से मां जल्दी ही सब मनोकामना पूर्ण करती हैं. मंदिर परिसर में हर महीने के ज्येष्ठ मंगलवार को एक भंडारे का आयोजन भी करवाया जाता है. नवरात्री में आने वाले पहले रविवार को माता का विशाल मेला लगया जाता है. दूर-दूर से भक्तगण मेले में माता के दर्शनों के लिए आते हैं.
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