अमृतसर: केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन बदस्तूर जारी है, वहीं कुछ ऐसी ख़बरें मिल रही हैं कि किसानों को इस प्रदर्शन में शामिल होने के लिए मजबूर किया जा रहा है। बठिंडा के विर्क खुर्द गाँव में पंचायत ने प्रस्ताव पारित करते हुए ग्रामीणों को निर्देश दिया है कि गाँव के प्रत्येक परिवार से कम से कम एक व्यक्ति को दिल्ली आंदोलन में पहुँचना ही है। ऐसा न करने पर 1500 रुपए के जुर्माने की धमकी दी गई है। यदि किसी ने बात नहीं मानी तो उसका गाँव-समाज से बहिष्कार कर दिया जाएगा।
पंजाब के एक पंचायत द्वारा जारी किए गए फरमान में कहा गया है कि हर घर का एक शख्स अगले 7 दिनों तक दिल्ली की सीमा पर होना चाहिए। साथ ही ये भी कहा गया है कि यदि दिल्ली में कोई भी वाहन क्षतिग्रस्त होता है, तो गाँव उसकी जिम्मेदारी उठाएगा। ग्राम पंचायत के आधिकारिक लेटर हेड पर ये आदेश जारी किया गया है। लुधियाना के समराला तहसील के मुस्काबाद गाँव ने भी ऐसा ही प्रस्ताव पारित किया है।
पंचायत ने कहा है कि गाँव के 20 लोगों के एक जत्थे को दिल्ली प्रदर्शन में ले जाया जाएगा और चार दिन बाद यह दल वापस लौटेगा और दूसरा दल फिर से वहाँ के लिए रवाना होगा। इसी प्रकार दिल्ली सीमाओं पर जाने की ये प्रक्रिया चालू ही रहेगी। पंचायत ने आंदोलन को दबाने के लिए सरकार पर कोशिश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वो इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। हर गाँव में ऐसा ही फरमान जारी करने की अपील की गई है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या किसी को आंदोलन में भेजने के लिए मजबूर करना उसके मौलिक अधिकार का हनन नहीं है ? क्या दिल्ली में इसी तरह भीड़ जमा की गई है ? और प्रशासन ऐसे मामलों पर क्यों चुप्पी साधे बैठा है ?
Punjab: Virk Khurd gram panchayat in Bathinda decides to send at least one member of each family to farmers' protest at Delhi borders for a week
— ANI (@ANI) January 30, 2021
"Those who won't go to protest will be fined Rs 1,500 & those not paying fine will be boycotted," says Sarpanch Manjit Kaur. (29.01) pic.twitter.com/XZ1n0az38B
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