अमृतसर: पंजाब में श्रीमद्भगवद्गीता के अपमान का मामला प्रकाश में आया है। बीते दिनों अमृतसर के स्वर्ण मंदिर और कपूरथला के निजामपुर गुरुद्वारे में बेअदबी के इल्जाम में सिख भीड़ ने दो युवकों को पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया था। जहाँ दरबार साहिब में हुई घटना में हत्या की निंदा करने की जगह तमाम नेता सिर्फ ‘बेअदबी’ की ही निंदा कर रहे हैं। किसी में इतना साहस नहीं कि मॉब लिंचिंग की आलोचना कर सके। वहीं, कपूरथला में तो एक बेचारा मानसिक रूप से विक्षिप युवक, जो भूखा था और रोटी की तलाश में गुरुद्वारा चला गया था, किन्तु उस पर ‘निशान साहिब’ की बेअदबी का इल्जाम लगा कर मार डाला गया।
किन्तु, श्रीमद्भगवद्गीता के तिरस्कार की खबर के बाद किसी को एक चांटा भी नहीं मारा गया है। ऐसा नहीं है कि पंजाब में हिन्दू नहीं रहते हैं या हिन्दू संगठन सक्रिय नहीं हैं, किन्तु इसके पीछे कारण यह है कि जिसे 'भगवा आतंकवादी' कहा जाता है, वो हिन्दू समाज सहिष्णु है। ताज़ा मामला लुधियाना से सामने आया है, जहाँ मंगलवार (21 दिसंबर, 2021) को पुलिस कमिश्नर कार्यालय के सामने हिन्दू हिन्दू धार्मिक ग्रन्थ कटी-फटी अवस्था में पाया गया। ‘शिव सेना पंजाब’ के कार्यकर्ताओं ने इसे पुलिस को सौंपा और साथ ही इस मामले में छानबीन करने की माँग की। पुलिस कमिश्नर कार्यालय के सामने एक ‘शिव ढाबा’ है, जहाँ पर एक शिव मंदिर भी मौजूद है। वहीं एक पीपल के पेड़ के नीचे श्रीमद्भगवद्गीता और गरुड़ पुराण की पुस्तकें पड़ी मिली थीं। हिन्दू कार्यकर्ताओं ने इन्हें उठा कर पुलिस के सुपुर्द किया। इससे पहले फोकल पॉइंट क्षेत्र में गोहत्या की घटना भी सामने आई थी। हिन्दू संगठनों के विरोध प्रदर्शन के बाद भी पुलिस किसी को गिरफ्तार करने में विफल रही है। लेकिन इस विरोध प्रदर्शन में, मॉब लिंचिंग तो क्या, किसी व्यक्ति को एक चाँटा तक नहीं मारा गया।
In Bathinda, Hindus held a protest against the Congress Councillor Sukhraj Aulakh who used vulgar language for Hindu women & rituals
— PanchaNada (@panchanada) August 31, 2021
Unfortunate is the state of Hindus in Punjab, the time when they had to celebrate Janmashtami, they had to carry protest rally against Hinduphobes pic.twitter.com/M1Fysego4N
हिन्दू संगठनों ने ऐलान किया है कि यदि पुलिस कार्रवाई करने में सक्षम नहीं होती है, तो वो इसके लिए संघर्ष करेंगे। अब हिन्दू ग्रंथों के तिरस्कार के मामले में CCTV फुटेज खंगालकर के कार्रवाई की जाएगी। कपूरथला और अमृतसर में हुई मॉब लिंचिंग को जायज ठहरा रहे लोग, पूरे भारत और हिन्दू समाज को असहिष्णु और आतंकी घोषित कर देते और अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों में धड़ाधड़ आर्टिकल छपने लगते, यदि हिन्दुओं ने क्रोध में आकर किसी को एक थप्पड़ भी जड़ दिया होता। विदेश तो ठीक, भारत में ही रहने और यहीं से कमाने-खाने वाले कुछ तथाकथित सेक्युलर हिन्दुओं को अपने हिन्दू होने पर शर्म आने लगती।
बता दें कि ये इस तरह का कोई पहला मामला नहीं है। इसी तरह जुलाई 2021 में अहमदगढ़ के सरौंद के मालेरकोटला मार्ग पर शिवलिंग के साथ छेड़छाड़ किए जाने का मामला प्रकाश में आया था। इस पर भी हिन्दुओं ने बस विरोध भर जताया था। हिन्दू भूख हड़ताल कर के संघर्ष करते रहे, लेकिन किसी की लिंचिंग नहीं की। मलेरकोटला में शिवलिंग में तोड़फोड़ की गई, लेकिन हिन्दुओं ने किसी को छुआ तक नहीं, जबकि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता कहने वाले, हिन्दू आतंकी कहने में जरा भी परहेज नहीं करते।
पंजाब के कांग्रेस पार्षद सुखराज औलख ने अगस्त 2021 में यज्ञ, व जाप के साथ ही ब्राह्मण समाज व महिलाओं पर भी अभद्र टिप्पणी कर डाली। इसका विरोध 'हिन्दु आतंकियों' ने सड़कों पर कीर्तन कर के जताया। उनके बॉयकॉट की माँग की गई। कांग्रेस का विरोध किया। सब कुछ लोकतांत्रिक तरीके से। कुछ दिन पहले ही बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने सत्यनारायण भगवान को लेकर गाली दी, ब्राह्मणों और दलितों को भी गाली दी, लेकिन मांझी के खिलाफ ट्विटर पर ट्रेंड तक नहीं चला। इस पर एक भाजपा नेता गजेंद्र झा ने क्रोध में आकर मांझी की जुबान काटने वाले वाले को 11 लाख इनाम देने का ऐलान कर दिया, जिसपर कार्रवाई करते हुए भाजपा हाई कमान ने झा को पार्टी से निकाल दिया।
सबरीमाला भी आपको याद ही होगा, रेहाना फातिमा, जिनका न तो हिन्दू धर्म से कोई संबंध है और न ही वे भगवान अयप्पा को मानती हैं, लेकिन जब वे जबरन मंदिर में घुसने लगीं तो 'हिन्दू आतंकियों' ने औरतों ने उनका विरोध किया। किस तरह, वे औरतें एक दूसरे का हाथ पकड़कर मंदिर के चारों तरफ खड़ी हो गईं और 'स्वामी शरणम अयप्पा' का जाप करने लगीं। लेकिन रेहाना को अंदर नहीं जाने दिया। डासना मंदिर भी याद होगा, महंत यति नरसिंहानंद के शिष्यों ने एक बच्चे आसिफ को थप्पड़ मार दिया था, पूरा मीडिया गिरोह यह बताने को उमड़ पड़ा था कि आसिफ अंदर पानी पीने गया था। जबकि मंदिर के बाहर भी नल लगे हुए थे, महंत यह कहते-कहते थक गए कि यहाँ पहले भी चोरियां हो चुकी हैं, ये लड़के मंदिर में आकर लड़कियों के साथ छेड़छाड़ करते हैं। लेकिन उस वक़्त तो हिन्दुओं को असहिष्णु और आतंकी घोषित करने की होड़ मची हुई थी। बंगाल में आए दिन मंदिरों, मूर्तियों में तोड़फोड़ की जाती है, लेकिन तथाकथित निष्पक्ष मीडिया उसे बताने से भी कतराता है, यहाँ तक कि Twitter जैसा सोशल मीडिया प्लेटफार्म भी उन्हें डिलीट कर देता है। ऐसे कई मामले हैं, लेकिन क्या ही कहा जाए हिन्दू तो पैदाइशी आतंकी ही होता है न।
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