अमृतसर: चुनावी राज्य पंजाब में मंगलवार को एक बड़ा उलटफेर देखने को मिला. यहां सुबह सूफी गायक बूटा मोहम्मद, लुधियाना में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हो गए और चंद ही घंटों बाद बूटा मोहम्मद को पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के चंडीगढ़ स्थित आवास पर देखा गया और कुछ देर बाद खबर आई कि बूटा मोहम्मद ने कैप्टन की पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस का दामन थाम लिया है.
सुबह भाजपा और कुछ घंटों बाद पंजाब लोक कांग्रेस के साथ जाने से न केवल कन्फ्यूजन पैदा हुआ, बल्कि विवाद भी खड़ा हो गया. बाद में बूटा सिंह ने कहा कि उन्होंने पंजाब लोक कांग्रेस की सदस्यता नहीं ली है, बल्कि उनके दोस्त सरदार अली उस पार्टी में शामिल हुए हैं और वो अपने दोस्त के साथ वहां पहुंचे थे. किन्तु, दिलचस्प बात ये भी है कि पंजाब लोक कांग्रेस ने कैप्टन और बूटा मोहम्मद की तस्वीरें साझा की थीं, जिसमें बूटा मोहम्मद पार्टी का मफलर पहने नज़र आ रहे थे. यही नहीं, पंजाब लोक कांग्रेस ने ये भी कहा था कि सरदार अली के साथ बूटा मोहम्मद ने पार्टी का दामन थामा. सरदार अली ने भी कहा कि वो इस उम्मीद से पंजाब लोक कांग्रेस में जा रहे हैं कि पार्टी गायकों की बेहतरी के लिए कार्य करेगी.
बता दें कि बूटा मोहम्मद सूफी गायकों के परिवार से आते हैं. उनके पिता स्वर्गीय सरदार मोहम्मद एक मशहूर गायक और संगीतकार थे. बूटा ने संगीत अपने पिता और चाचा से सीखा है. उनके भाई भी एक गायक हैं. बूटा मोहम्मद ने दिल्लगी, झांजरां, गबरू दे मोड्या, है मेरी जान और मां दियां दुआवां जैसे मशहूर गाने गाए हें. उनका पहला गाना 1996 में लॉन्च हुआ था, जो एक सूफी गीत था.
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