सनातन धर्म में किसी भी शुभ कार्य में मुहूर्त को देखा जाता है क्योंकि मुहूर्त देखकर काम करने से शुभ फल मिलते हैं. वहीँ अगर ज्योतिष शास्त्र को माने तो उसके अनुसार, शुभ और अशुभ समय दो मुहूर्त होते हैं. वहीँ अगर मुहूर्त के आकलन के बारे में बात करें तो यह योग, नक्षत्र और वार (दिन) देखकर किया जाता है. ऐसे में शुभ मुहूर्त में ही मांगलिक कार्य करने के बारे में कहा जाता है और अशुभ मुहूर्त में किसी भी शुभ कार्य को न करने के बारे में कहा जाता है. अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं पुष्यामृत योग के बारे में.
पुष्यामृत योग क्या होता है- जी दरअसल नक्षत्रों में पुष्य नक्षत्र को सबसे बलवान कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि पुष्यामृत योग गुरुवार के दिन पड़ता है और जब यह इस दिन पड़ता है तो बड़ा फलदायी होता है. वैसे ज्योतिषाचार्यों का भी यही कहना है कि, अगर किसी भी शुभ कार्य के लिए कोई मुहूर्त नहीं मिल रहा हो तो इस योग में कार्य किया जा सकता है. जी दरअसल ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि इस योग में कोई भी मांगलिक कार्य हो सकता है. इस योग के दौरान पहले से अटका हुआ कार्य, सोना खरीदना, जमीन खरीदना फलदायी माना जाता है. वैसे तो पुष्य नक्षत्र को एक शाप भी मिला है, जिसकी वजह से इस योग में विवाह नहीं होते हैं और ध्यान रहे कि अगर यह शुभ योग बुधवार और शुक्रवार को पड़े तो कोई नया कार्य नहीं करना चाहिए.
सितंबर से दिसंबर तक पुष्यामृत योग -
13 सितंबर 2020 - रविवार - 16:34 बजे से 29:47 बजे तक.
14 सितंबर 2020 - सोमवार - 5:49 बजे से 15:52 बजे तक.
10 अक्टूबर 2020 - शनिवार - 25:18 बजे से 29:58 बजे तक.
11 अक्टूबर 2020 - रविवार - 5:58 बजे से 25:29 बजे तक.
07 नवंबर 2020 - शनिवार - 8:05 बजे से 30:15 बजे तक.
08 नवंबर 2020 - रविवार - 6:15 बजे से 8:45 बजे तक.
04 दिसंबर 2020 - शुक्रवार - 13 :39 बजे से 30:33 बजे तक.
05 दिसंबर 2020 - शनिवार - 6:33 बजे से 14:28 बजे तक.
31 दिसंबर 2020 - गुरुवार - 19 :49 बजे से 30:47 बजे तक.
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