कोलकाता: पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर अक्सर तुष्टिकरण की राजनीति करने के आरोप लगते रहते हैं। अब राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) ने भी OBC समाज को मिलने वाले संवैधानिक अधिकारों को लेकर ममता सरकार पर बड़ा दावा किया है। आयोग ने ममता सरकार को OBC आरक्षण में सुधार करने के निर्देश दिए हैं। दरअसल, पिछड़ा वर्ग आयोग ने पाया है कि बंगाल सरकार ओबीसी कोटे की A कैटेगरी में 91 फीसद से ज्यादा आरक्षण मुस्लिमों को दे रही है। यहाँ तक कि, रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुस्लिमों को भी भारत में OBC समुदाय को मिलने वाले आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। बता दें कि, 2005 में जब बंगाल में लेफ्ट यानी CPM की सरकार थी, उस समय ममता बनर्जी बंगाल से सांसद हुआ करती थीं। तब ममता ने आरोप लगाया था कि, CPM घुसपैठियों को बंगाल में बसा रही है और चुनावों में भी उन्हें वोटरों की तरह इस्तेमाल करती है। यहाँ तक कि, संसद में ममता बनर्जी ने घुसपैठियों (रोहिंग्या-बांग्लादेशी) को भारत से निकालने के लिए काफी हंगामा किया था और जब उस समय केंद्र की मनमोहन सरकार के समय उन्हें घुसपैठियों पर चर्चा करने की अनुमति नहीं मिली थी, तो उन्होंने संसद से ही इस्तीफा दे दिया था। लेकिन आज उनके विचार बदल चुके हैं और वे रोहिंग्या-बांग्लादेशी के पक्ष में खड़ी नज़र आती हैं, यहाँ तक कि, केंद्र सरकार जब NRC कर घुसपैठियों को निकालने की बात करती है, तो ममता उसका पुरजोर विरोध करती हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि, कहीं ऐसा तो नहीं कि, अवैध घुसपैठियों से 2005 में जो सियासी लाभ लेफ्ट को मिलता था, वही अब सीएम ममता को मिलने लगा है और इसलिए वो खुद OBC का हक मारकर इन्हे फायदा पहुंचा रहीं हैं ?
दरअसल, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने विगत 25 फरवरी को पश्चिम बंगाल की यात्रा की थी, जिसमे खुद बंगाल सरकार की संस्था कल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRI) की रिपोर्ट से पता चला था कि ममता सरकार ने हिंदू धर्म से धर्मांतरित होकर मुस्लिम बने लोगों को भी OBC की सूची में शामिल कर दिया है। पिछड़ा आयोग के इस दौरे में यह भी पता चला है कि बंगाल सरकार ने OBC की लिस्ट में कुल 179 जातियों को शामिल किया है, जिसमे से 118 जातियाँ अकेले मुस्लिमों की है। जबकि, हिंदुओं की महज 61 जातियों को ही OBC की सूची में जगह दी गई है। इसको लेकर NCBC के राष्ट्रीय अध्यक्ष हंसराज अहीर ने कहा है कि पश्चिम बंगाल की कुल जनसँख्या में से 70% हिंदू हैं और 27% मुस्लिम। इसके बाद भी बड़ी तादाद में मुस्लिम जातियों को OBC की सूची में जगह दे दी गई।
हंसराज अहीर ने यह भी कहा है कि इस दौरे में पिछड़ा आयोग ने पाया कि 2011 से पहले बंगाल में OBC की 108 जातियाँ हुआ करती थीं। मगर, इसके बाद इसमें 71 जातियों को और शामिल किया गया। इन 71 में से 66 जातियाँ अकेले मुस्लिमों की थी। वहीं, हिंदुओं की महज 5 जातियों को ही OBC आरक्षण का लाभ देने के लिए इस सूची में जगह मिल पाई। आयोग को लगता है कि बंगाल सरकार की संस्था CRI की गलत रिपोर्ट के कारण, मुस्लिम जातियों को OBC सूची में शामिल किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में OBC आरक्षण को दो हिस्सों में विभाजित किया गया है। इसमें कुल 179 जातियों को OBC लिस्ट में शामिल किया गया है। इसमें A वर्ग में अति पिछड़ों को रखा गया है। इसमें 89 में से 73 मुस्लिम और केवल 8 हिंदू जातियां हैं। वहीं B श्रेणी में पिछड़ी जातियों को रखा गया है, इसकी सूची में कुल 98 जातियां है, जिसमें 53 हिंदू और 45 मुस्लिम जातियां हैं। यानी बंगाल में कुल 179 पिछड़ी जातियों में से 118 जातियां तो मुस्लिमों की ही है, बाकी 61 पिछड़ी जातियां हिन्दुओं की है। इससे सवाल उठने लगा है कि, जिस इस्लाम में जातिवाद न होने का दावा किया जाता है, वो भारत में अति पिछड़ी जाति श्रेणी में हिन्दुओं (8) से भी अधिक पिछड़े (मुस्लिम 73) कैसे हो गए हैं ? क्या ये लाभ उन्हें और रोहिंग्या-बांग्लादेशियों को सरकारों द्वारा वोट बैंक की लालच में दिया गया है ? क्योंकि, बीते कई चुनावों में हमने देखा है कि, मुस्लिम समुदाय एकतरफा और एकमुश्त होकर वोट करता है, इसलिए कई सियासी दल हर तरह से उन्हें खुश रखने की कोशिश करते ही हैं। ऐसा राजनेताओं के बयानों में भी कई बार देखा जा चुका है।
बहरहाल, अपने दौरे के दौरान NCBC ने जाँच में यह भी पाया है कि ममता सरकार की सरकारी नौकरियों में बड़े पैमाने पर मुस्लिमों को आरक्षण प्रदान किया गया है। दरअसल, OBC की A कैटेगरी (अति पिछड़े) में मुस्लिमों को सरकारी नौकरी में 91.5 फीसद का एकतरफा आरक्षण मिल रहा है। वहीं, हिंदू OBC महज 8.5 प्रतिशत में ही गुजारा करने को मजबूर है। उधर, B कैटेगरी (पिछड़ा वर्ग) में हिंदुओं को 54% और मुस्लिमों को 45.9% आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। इसका सीधा मतलब यह है कि ममता बनर्जी सरकार ने तुष्टिकरण की सियासी चाल चलते हुए मुस्लिमों को खुलेआम आरक्षण में बड़ा हिस्सा देते हुए सीधा फायदा पहुँचाया है। NCBC के दौरे में पता चला है कि पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों को भी ओबीसी की सूची में शामिल किया गया है, जिन्हे आरक्षण के तहत कई लाभ मिल रहे हैं। इसके साथ ही, आयोग को पता चला है कि बंगाल के मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले 90% छात्र मुस्लिम OBC श्रेणी के हैं।
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