नई दिल्ली: दिल्ली की एक कोर्ट ने कुतुब मीनार विवाद के संबंध में अपने 20 सितंबर के आदेश की समीक्षा के लिए दाखिल की गई याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इसमें कोई तथ्य नहीं है और याचिकाकर्ता समीक्षा के लिए पर्याप्त आधार दिखाने में नाकाम रहा। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश दिनेश कुमार ने कहा कि याचिकाकर्ता 20 सितंबर 2022 के आदेश की समीक्षा के लिए कोई समुचित आधार नहीं दिखा सका, जिसके चलते उसकी याचिका खारिज की जाती है।
कोर्ट ने शनिवार (24 दिसंबर) को अपने फैसले में यह भी कहा कि ''समीक्षा अर्जी के रूप में अपील करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।'' बता दें कि, कोर्ट कुंवर महेंद्र ध्वज प्रताप सिंह द्वारा दाखिल की गई एक अर्जी पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दावा किया गया था कि वह ''संयुक्त प्रांत आगरा'' के तत्कालीन शासक के उत्तराधिकारी हैं और कुतुब मीनार समेत दिल्ली और आसपास के कई शहरों में भूमि के मालिक हैं।
सिंह ने दलील दी थी कि कुतुब मीनार परिसर के भीतर एक मंदिर होने का दावा करने वाली अपील के लिए वह एक जरूरी पक्ष हैं, जिसमें हिंदू और जैन देवताओं की मूर्ति की मरम्मत करके इसे बहाल करने की मांग की गई। सिंह ने कोर्ट के आदेश के खिलाफ समीक्षा अर्जी दाखिल की थी जिसने याचिका में कोई तथ्य नहीं होने के आधार पर खारिज कर दिया था।
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