माता-पिता नहीं बल्कि इन लोगों की छांव में पले-बड़े थे रवींद्रनाथ टैगोर

माता-पिता नहीं बल्कि इन लोगों की छांव में पले-बड़े थे रवींद्रनाथ टैगोर
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आज पुरे देश में महान कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर का 160वां जन्मदिवस मनाया जा रहा है। रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म कोलकाता के जोरसंको हवेली में 7 मई, 1861 को हुआ था। रवींद्रनाथ टैगोर के पिता का नाम देबेंद्रनाथ टैगोर तथा माता का नाम सरदा देवी था। महात्मा गांधी ने रवींद्रनाथ टैगोर को 'गुरुदेव' की उपाधि दी थी। शुरू से ही रवींद्रनाथ टैगोर कविताएं तथा कहानियां लिखा करते थे। टैगोर ने बांग्ला साहित्य में नए गद्य तथा छंद तथा लोकभाषा के इस्तेमाल का आरम्भ किया था। रवींद्रनाथ टैगोर राजनीति में सक्रिय थे। वह भारतीय राष्ट्रवादियों के पूर्ण समर्थन में थे। इसके अतिरिक्त, वह ब्रिटिश शासन के विरोध में थे। आइए जानते है उनके बारे में कुछ रोचक जानकारियां...

रवींद्रनाथ अपने माता-पिता की तेरहवीं औलाद थे। बचपन में उन्‍हें प्‍यार से ‘रबी’ बुलाया जाता था। जब वे बहुत छोटे थे तब ही उन्होंने अपनी मां को खो दिया था। उनके पिता एक यात्री थे और इसलिए उन्हें अधिकतर उनके नौकरों और नौकरानियों ने पाला। रवींद्रनाथ टैगोर के पिता चाहते थे कि वह एक बैरिस्टर बने। इसलिए रवींद्रनाथ टैगोर के पिता ने उन्हें इंग्लैंड में पढ़ने के लिए भेजा था। 8 साल की आयु में उन्‍होंने अपनी पहली कविता लिखी, 16 वर्ष की आयु तक उन्होंने कला कृतियों की रचना भी आरम्भ कर दी।

उन्होंने वर्ष 1877 में ‘भिखारिनी’ तथा साल 1882 में कविताओं का संग्रह ‘संध्या संगत’ लिखा। रवींद्रनाथ टैगोर की काव्यरचना गीतांजलि के लिए उन्हें 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था। टैगोर नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले गैर यूरोपीय व्यक्ति थे। यह पुरस्कार विश्व-भारती विश्वविद्यालय की सुरक्षा में रखा गया था। 2004 में इसे वहां से चोरी कर लिया गया था। टैगोर ने ही भारत का राष्ट्रगान 'जन गण मन' लिखा है। उन्होंने बांग्लादेश का राष्ट्रगान 'आमार सोनार बांग्ला' भी लिखा है। रवींद्रनाथ टैगोर तथा अल्बर्ट आइंस्टीन दोनों ने भेंट के चलते भगवान, मानवता, विज्ञान, सत्य तथा सौंदर्य पर चर्चा की थी।

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