रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के नोबल पुरस्कार विजेता हैं, जिन्होंने प्रासंगिक आधुनिकतावाद के साथ बंगाली साहित्य और संगीत के साथ-साथ भारतीय कला को भी नया रूप दिया। आप सभी को बता दें कि उनका जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता में माता-पिता देवेंद्रनाथ टैगोर और शारदा देवी के घर हुआ था। जी हाँ और रवींद्रनाथ अपने माता-पिता की तेरहवीं संतान थे।
कहा जाता है बचपन में उन्हें प्यार से 'रबी' बुलाया जाता था और आठ वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी, सोलह साल की उम्र में उन्होंने कहानियां और नाटक लिखना प्रारंभ कर दिया था। आप सभी को बता दें कि रवीन्द्रनाथ टैगोर को प्रकृति का सानिध्य काफी पसंद था। जी हाँ औरउनका मानना था कि छात्रों को प्रकृति के सानिध्य में शिक्षा हासिल करनी चाहिए। कहते हैं अपनी इसी सोच को ध्यान में रखकर उन्होंने शांति निकेतन की स्थापना की थी। वहीं साल 1913 में गीतांजलि के लिए साहित्य में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले टैगोर पहले भारतीय व्यक्ति थे। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं रवींद्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार।
रवींद्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार-
- आप नदी को सिर्फ खड़े होकर और या पानी को घूरकर पार नहीं कर सकते- रवीन्द्रनाथ टैगोर
- यदि आप सभी त्रुटियों के लिए दरवाजा बंद कर दोगे तो सच अपने आप बाहर बंद हो जाएगा- रवीन्द्रनाथ टैगोर
- दोस्ती की गहराई परिचित की लंबाई पर निर्भर नहीं करती- रवीन्द्रनाथ टैगोर
- तथ्य कई हैं लेकिन सच एक ही है- रवीन्द्रनाथ टैगोर
- जो मन की पीड़ा को स्पष्ट रूप से कह नहीं सकता उसी को क्रोध अधिक आता है- रवीन्द्रनाथ टैगोर
- जिस तरह घोंसला सोती हुई चिड़िया को आश्रय देता है।उसी तरह मौन रहना तुम्हारी वाणी को आश्रय देता है- रवीन्द्रनाथ टैगोर
- विश्वविद्यालय महापुरुषों के निर्माण के कारखाने हैं और अध्यापक उन्हें बनाने वाले कारीगर हैं- रवीन्द्रनाथ टैगोर
- खुश रहना बहुत सरल है।।। लेकिन सरल रहना बहुत मुश्किल- रवीन्द्रनाथ टैगोर
- उपदेश देना आसान है पर उपाय बताना कठिन- रवीन्द्रनाथ टैगोर
- प्रेम अधिकार का दावा नहीं करता, बल्कि स्वतंत्रता देता है- रवीन्द्रनाथ टैगोर
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