इस्लामाबाद: 1947 में भारत से अलग होकर इस्लामी मुल्क बने पाकिस्तान में आज अल्पसंख्यक हिन्दू, सिख और ईसाई तो क्या, खुद एक ही खुदा को मानने वाले मुसलमान भी सुरक्षित नहीं हैं। पाकिस्तान में कट्टरपंथी, लगातार अहमदिया समुदाय के मुसलमानों को निशाना बना रहे हैं। हालिया घटना में पंजाब प्रान्त की एक मस्जिद की मीनार को पुलिस ने ध्वस्त कर दिया है। तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) ने शुक्रवार (14 जुलाई) को पाकिस्तान सरकार से इस मस्जिद की मीनारों को गिराने की धमकी देते हुए कहा था कि, अगर सरकार मीनारें नहीं तोड़ती, तो TLP द्वारा उसे खुद से ध्वस्त किया जाएगा।
Tehreek-e Labbaik's Asim Ashfaq Rizvi saying that they would demolish minarets of #Ahmadiyya 'worship place' in Kala Gujran, Jhelum on Muharram 10th if administration doesn't do it. Why r hate-mongering mullahs allowed to spread this venom so freely? Video via @IamAmirMahmood pic.twitter.com/eKflVeCoXm
— Bilal Farooqi (@bilalfqi) July 15, 2023
रिपोर्ट्स के अनुसार, घटना पाकिस्तान के पंजाब प्रदेश में जेहलम जिले की है। यहाँ के काला गुजरान इलाके में अहमदिया समुदाय की इबादतगाहें बनी हुईं हैं। इन इबादतगाहों के खिलाफ TLP नेता असीम अशफाक रिज़वी ने अभियान सा चला रखा है। हैरानी वाली बात ये भी है कि, अहमदियाद मुस्लिम भी उसी खुदा को मानते हैं, जिसे बाकी मुसलमान और यहाँ तक कट्टरपंथी भी। लेकिन, फिर भी अहमदियों पर हो रहा जुल्म यह बताता है कि, लड़ना और दूसरों को प्रताड़ित करना कट्टरपंथियों की फितरत है, फिर वो चाहे दूसरे धर्म के हों, या खुद के ही मजहब के। इसी क्रम में TLP ने भी पाकिस्तान सरकार से अहमदियों की मस्जिदों की मीनारें गिराने की अपील करते हुए कार्रवाई न होने पर खुद ही इबादतगाओं को जमींदोज़ करने की धमकी दी थी। ये धमकियाँ सार्वजानिक मंचों से हज़ारों की भीड़ के बीच दी गईं थी, जहाँ बाकी लोगों को भी अहमदी लोगों की इबादतगाहों को ध्वस्त करने के लिए भड़काया गया था। इन धमकियों का वीडियो भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुए हैं।
इन धमकियों के बाद पाकिस्तान सरकार के पंजाब प्रान्त के अधिकारी हरकत में आए। उन्होंने अहमदी लोगों की बैठक बुलाई और उनके निर्माण को गैर-कानूनी बता दिया। आखिरकार तमाम विरोधों के बावजूद 14 जुलाई की रात को पुलिस ने अहमदी समुदाय की मस्जिदों की मीनारों को गिरा दिया। आरोप है कि आधी रात के अँधेरे में की गई इस कार्रवाई के दौरान पुलिस ने न केवल अहमदी लोगों के फोन जमा कर लिए थे, बल्कि आस-पास लगे CCTV कैमरों को भी बंद करवा दिया था। इस दौरान अहमदी लोगों को बंधक बनाकर रख लिया गया, जिन्हें मीनारों को गिराने के बाद ही रिहा किया गया।
वहीं, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कमेटी (IHRC) ने अहमदिया समुदाय को खतरे में बताते हुए पाकिस्तान पुलिस की इस कार्रवाई को अहमदियों पर हमले के जैसा करार दिया है। कमेटी ने ऐसे मामलों में पाकिस्तान सरकार के रवैये को भी निराशाजनक बताया है और सरकार पर कट्टरपंथियों पर कार्रवाई न करने का इल्जाम लगाया। IHRC का मानना है कि अपनी मज़हबी मान्यताओं के कारण ही पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं। इस घटना में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने की माँग की गई है।
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