नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू जेट सौदे पर स्टे लगाने की मांग करने वाले वकील मनोहर लाल शर्मा द्वारा दायर याचिका सुनने पर सहमति व्यक्त की. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और जस्टिस ए एम खानविलकर और डी वाई चन्द्रचुद की एक खंडपीठ ने शर्मा की याचिका पर विचार किया, जिन्होंने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि राफले सौदे में विसंगतियां थीं.
यह खबर विपक्षी दल कांग्रेस के लिए काफी खुश करने वाली हो सकती है, क्योंकि विपक्ष बहुत पहले से केंद्र सरकार पर 36 राफेल विमानों को खरीदने में घोटाले करने का आरोप लगा रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दावा किया है कि एनडीए द्वारा किए गए सौदे के तहत प्रति विमान मूल्य यूपीए के दौरान 520 करोड़ रुपये के मुकाबले बढ़कर 1,600 करोड़ रुपये हो गया था. कांग्रेस ने इस सौदे पर संयुक्त संसदीय जांच की मांग की है, साथ ही पार्टी ने राफेल जेट के मूल्य विवरण प्रकट करने के लिए सरकार से आग्रह भी किया है. साथ ही हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड की जगह अनिल अम्बानी को साझेदार बनाने के मामले में भी विपक्ष ने केंद्र को घेरा है.
हालांकि, सरकार ने 2008 में हस्ताक्षर किए गए 'गोपनीयता शर्त'' का हवाला दिया है जो इस विवरण सार्वजनिक करने से रोकता है, केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस के आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहा है कि पूरी तरह से हथियारयुक्त लड़ाकू विमान जो उनकी सरकार खरीद रहे हैं, पिछले यूपीए सरकार के तहत पेश किए गए लोगों की तुलना में 20 फीसदी सस्ते हैं. वहीं 2015 में, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि सरकारी सौदे में केवल 36 राफले लड़ाकू जेट खरीदने का फैसला लिया गया था, साथ ही 126 फ़्रांसिसी विमानों की खरीद को रद्द कर दिया था.
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