मुंबईः मौजूदा आर्थिक मंदी को लेकर केंद्र की मोदी सरकार लगातार विपक्ष और आलोचकों के निशाने पर है। दुनिया की तमाम आर्थिक संस्थाओं ने भारत के विकास दर के अनुमान को घटाया है। इस कड़ी में अर्थ जगत के एक और बड़े व्यक्ति और भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी शामिल हो गए हैं। उन्होंने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था को एक आदमी अपनी मर्जी से नहीं चला सकता है। भारत की अर्थव्यवस्था काफी बड़ी हो गई है।
एक व्यक्ति के द्वारा इसको चलाया नहीं जा सकता है और इसका उदाहरण हम सब देख चुके हैं। राजन कई बार इस बारे में कह चुके हैं, कि यदि एक ही व्यक्ति अर्थव्यवस्था के बारे में निर्णय लेगा तो फिर यह घातक सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि राजकोषीय घाटा बढ़ने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ेगा, जिससे निकलने में काफी वक्त लग सकता है। ब्राउन विश्वविद्यालय में एक व्याख्यान देते हुए राजन ने कहा कि अर्थव्यवस्था के बारे में सरकार द्वारा कोई ठोस कदम ना उठाने से अभी सुस्ती का माहौल है।
2016 की पहली तिमाही में विकास दर नौ फीसदी के पास थी, जो अब घटकर के 5.3 फीसदी के स्तर पर आ गई है। देश में वित्तीय सेक्टर और बिजली सेक्टर को मदद की जरूरत है, मगर इसके बावजूद विकास दर को बढ़ाने के लिए नए क्षेत्रों की तरफ ध्यान नहीं दिया गया। वित्तीय क्षेत्र में जो अस्थिरता का माहौल है, वो एक तरह का लक्षण है, न कि पूरी तरह से जिम्मेदार। उन्होंने कहा कि इस आर्थिक सुस्ती के लिए नोटबंदी और बाद में हड़बड़ी से लागू किया गया जीएसटी जिम्मेदार है। अगर यह दोनों नहीं होते तो अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही होती।
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