तख्तापलट में माहिर डोनाल्ड लू से मिले राहुल गांधी, भारत विरोधी इल्हाना से भी मीटिंग

तख्तापलट में माहिर डोनाल्ड लू से मिले राहुल गांधी, भारत विरोधी इल्हाना से भी मीटिंग
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नई दिल्ली: राहुल गांधी की हालिया अमेरिकी यात्रा और उनकी मुलाकातें भारतीय राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर रही हैं। इस दौरान राहुल गाँधी ने जिन लोगों से मुलाकात की, उनमें अमेरिका की सांसद इल्हान उमर और डोनाल्ड लू का नाम सबसे अधिक चर्चा में है। इल्हान उमर एक कट्टर इस्लामी नेता के रूप में जानी जाती हैं, जिनकी पहचान इस्लामिक एजेंडे और भारत-विरोधी विचारधारा से है। वहीं, डोनाल्ड लू, अमेरिकी राजनयिक, जिनका नाम विभिन्न देशों में सरकारों को गिराने की साजिशों से जुड़ा रहा है, खासकर पाकिस्तान और बांग्लादेश में। पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान अपनी सरकार गिराने में डोनाल्ड लू का नाम ले चुके हैं और बांग्लादेश में भी लू पर ही आरोप लगे हैं। ये अमेरिकी राजनयिक, दूसरे देशों में लोगों को भड़काकर आंदोलन खड़ा करने और सत्ता पलटने में कुख्यात है। ताकि वहां पर अमेरिका के पिट्ठुओं को बिठाया जा सके, जो US के इशारे पर काम करें। अब राहुल की इन्ही डोनाल्ड लू से मुलाकात पर विवाद हो रहा है। हालाँकि, बंद कमरों में इन सबके बीच क्या बातचीत हुई है, ये सामने नहीं आया है

 

राहुल गांधी की इन व्यक्तियों से मुलाकात पर भारतीय जनता पार्टी और अन्य आलोचक गंभीर सवाल उठा रहे हैं। भाजपा प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने इल्हान उमर से मुलाकात को भारत विरोधियों के साथ खड़े होने का संकेत बताया। इल्हान उमर, जिनका नाम कश्मीर और पाकिस्तान समर्थक बयानों में बार-बार आता है, उन्होंने पहले भी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का दौरा किया था, जिससे भारत और अमेरिका दोनों ने कड़ा विरोध जताया था। उनकी विचारधारा स्पष्ट रूप से कट्टर इस्लाम और भारत के खिलाफ है, और उनकी मुलाकात राहुल गांधी के साथ भारतीय हितों के विरुद्ध मानी जा रही है। इसके अलावा, डोनाल्ड लू से राहुल गांधी की मुलाकात भी सवालों के घेरे में है। लू को 'तख्तापलट का माहिर' माना जाता है और उन्हें पाकिस्तान व बांग्लादेश जैसे देशों में सरकारें गिराने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। राहुल गांधी की मुलाकात ऐसे व्यक्तियों से क्यों हो रही है, जो भारत के विरोधी माने जाते हैं? क्या यह मुलाकातें किसी छुपे एजेंडे का हिस्सा हैं, या यह महज एक संयोग है?

 

राहुल गांधी ने विदेशी मंचों पर भारत के खिलाफ कई विवादित बयान दिए, जिनमें खालिस्तानी आतंकियों का समर्थन भी शामिल है। उनके इस बयान से खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने भी समर्थन जताया और इसे खालिस्तान की मांग के लिए उचित ठहराया। राहुल गांधी ने यह आरोप भी लगाया कि भारत में सिखों को पगड़ी पहनने की अनुमति नहीं दी जा रही है, जो पूरी तरह से झूठ है। ऐसी किसी भी घटना का कोई प्रमाण नहीं है, बल्कि यह कांग्रेस के इतिहास की ओर इशारा करता है, जब 1984 में सिखों का कत्लेआम हुआ था।

राहुल गांधी के इन बेबुनियाद आरोपों और भारत विरोधियों के साथ उनकी मुलाकातें एक गंभीर सवाल खड़ा करती हैं कि क्या अमेरिकी धरती पर भारत के खिलाफ बांग्लादेश जैसी कोई साजिश रची जा रही है? विपक्षी नेताओं द्वारा भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति की धमकियाँ देना, और फिर राहुल का डोनाल्ड लू से मिलना, यह सब भारतीय हितों के लिए चिंताजनक है। इससे पहले कांग्रेस में अपनी जिंदगी के 50 साल देने वाले गुलाम नबी आज़ाद भी कह चुके हैं कि 'राहुल गांधी सहित पूरे गांधी परिवार के कारोबारियों से रिश्ते हैं। मैं ऐसे 10 उदाहरण दे सकता हूं, जिसमें राहुल गांधी विदेश जाकर भी लोगों से मिले हैं, इनमें अवांछित कारोबारी भी शामिल हैं।' उस समय भी ये सवाल उठे थे कि, आज़ाद जिन अवांछित कारोबारियों की बात कर रहे हैं, क्या उसमे जॉर्ज सोरोस का भी नाम है ? दरअसल, सोरोस अक्सर भारत और पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ बयानबाज़ी करते रहते हैं। जब भारत में राहुल गांधी ने अडानी का मुद्दा उठाया था, तो सोरोस ने भी अमेरिका से कहा था कि, 'मोदी और अडानी करीबी सहयोगी हैं और उनका भाग्य भी आपस में जुड़ा हुआ है।' बता दें कि, सोरोस 'राष्ट्रवाद' के धुर विरोधी माने जाते हैं और उन पर अमेरिका, रूस और चीन में राष्ट्रवादियों से लड़ने के लिए करोड़ों डॉलर की फंडिंग करने का भी आरोप है। साथ ही उन्होंने मोदी सरकार को हटाने के लिए भी पैसों की पेशकश की थी।

 

राहुल गांधी की यह मुलाकातें क्या महज राजनीतिक गलती हैं, या इसके पीछे कोई और गहरी साजिश छिपी है? ऐसे सवाल उठने स्वाभाविक हैं, खासकर जब राहुल के बयान, आतंकी संगठनों और भारत विरोधी ताकतों के हथियार बनते दिख रहे हैं। खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने राहुल के बयान का खुलकर समर्थन किया है और कहा है कि राहुल गांधी के बयान से साफ़ है कि हमारी खालिस्तान की मांग जायज है। अब जब, आतंकी और भारत विरोधी लोग, राहुल गांधी के बयानों को हथियार बनाकर भारत के खिलाफ इस्तेमाल करें, तो इससे एक बात स्पष्ट हो जाती है कि राहुल या तो बिना सोचे समझे ये सब बोल रहे हैं, या फिर भारत में आग लगाने के लिए जानबूझकर ऐसा कर रहे हैं। जो, 3 बार से लगातार लोकसभा चुनाव हारने के बाद की उनकी हताशा भी हो सकती है। राज्यों की भी बात करें तो देश पर सबसे लंबे समय तक शासन करने वाली पार्टी अब केवल 3 राज्यों में सिमट कर रह गई है, और उन तीन राज्यों में भी स्थिति कुछ ठीक नहीं है। विपक्षी नेता धमकी दे चुके हैं कि भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति होगी और पीएम मोदी को भागना पड़ेगा। इस बीच राहुल गांधी, बांग्लादेश में वैसी स्थिति पैदा करने वाले डोनाल्ड लू से मिल रहे हैं, जो भारत के लिए खतरनाक है।     

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