2020 में हुआ था जिस लड़की का रेप, उसके परिवार से मिले राहुल गांधी

2020 में हुआ था जिस लड़की का रेप, उसके परिवार से मिले राहुल गांधी
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लखनऊ: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाथरस रेप पीड़िता के परिवार से मुलाकात की। परिवार ने स्वयं राहुल गांधी से मिलने की इच्छा व्यक्त की थी, जिसके बाद वे उनके घर पहुंचे। इस दौरान राहुल गांधी ने करीब आधे घंटे तक परिवार से बातचीत की और उनकी समस्याएं सुनीं। परिवार ने बताया कि घटना के बाद सरकार ने जो वादे किए थे, वे आज तक पूरे नहीं हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनके घर पर हर समय पुलिस तैनात रहती है, जिससे वे चार सालों से घर में कैद जैसे हालात में हैं। मुलाकात के बाद राहुल गांधी दिल्ली लौट गए।

राहुल गांधी के दौरे को देखते हुए पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। जगह-जगह बैरिकेडिंग लगाई गई और गांव में प्रशासन ने पूरी सतर्कता बरती। पीड़िता के पिता द्वारा राहुल गांधी को लिखी गई चिट्ठी के बाद यह मुलाकात हुई।

राहुल गांधी के दौरे पर उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने राहुल गांधी पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें यह भी जानकारी नहीं है कि इस मामले की सीबीआई जांच पूरी हो चुकी है और मामला अदालत में विचाराधीन है। उन्होंने यह भी दावा किया कि उत्तर प्रदेश कानून-व्यवस्था और विकास के मामले में देश में अग्रणी बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने राहुल गांधी से अपनी "उल-जुलूल हरकतों" से जनता को परेशान न करने की अपील की।

इस मामले में 2 मार्च 2023 को विशेष न्यायालय (एससी/एसटी एक्ट) ने चार आरोपियों में से तीन को बरी कर दिया था। जबकि मुख्य आरोपी संदीप को आजीवन कारावास और 50,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी। पीड़ित परिवार इस फैसले से संतुष्ट नहीं है और उन्होंने उच्च न्यायालय में अपील दायर कर रखी है। परिवार ने कहा है कि वे चारों आरोपियों को सजा मिलने पर ही संतुष्ट होंगे और मृतका की अस्थियां विसर्जित करेंगे।

14 सितंबर 2020 को हाथरस के एक गांव में दलित युवती के साथ कथित रूप से दरिंदगी की गई थी। 29 सितंबर 2020 को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। सीबीआई ने जांच के बाद चार आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। इसके बावजूद तीन आरोपियों को बरी किया गया, जिससे परिवार और उनके वकील असंतुष्ट हैं।

घटना के बाद पीड़ित परिवार ने सरकारी आवास और नौकरी की मांग की थी। हालांकि, अब तक उन्हें यह सहायता नहीं मिली है। सरकार ने इस मामले में की गई घोषणाओं को पूरा करने का आश्वासन दिया था, लेकिन यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है। घटना के बाद से पीड़ित परिवार की सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ की तैनाती की गई है। लेकिन परिवार का कहना है कि उनके लिए यह सुरक्षा जेल जैसी है, जहां वे चार साल से कैद जैसे हालात में जी रहे हैं।

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