बैंगलोर: कांग्रेस के लोकसभा सांसद अध्यक्ष राहुल गाँधी ने बुधवार (3 अगस्त 2022) को कर्नाटक में प्रभावशाली लिंगायत समुदाय के धर्मगुरु संग मुलाकात की। इसके साथ ही राहुल ने लिंगायत समुदाय की लिंग दीक्षा भी ली। बता दें कि राहुल गाँधी अपने आप को जनेऊधारी ब्रह्मण कहते रहे हैं और उनका नया अवतार लिंगायत के रूप में देखने को मिला है। दरअसल, राहुल गाँधी, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष डीके शिवकुमार और केसी वेणुगोपाल के साथ चित्रदुर्ग में श्री मुरुघा मठ पहुँचे थे। यहाँ राहुल ने मठ के धर्मगुरु डॉ श्री शिवमूर्ति मुरुघ शरणारू से लिंग दीक्षा ली।
दरअसल, आमतौर पर लिंगायत समुदाय के लोग क्रिस्टल निर्मित इष्टलिंग को गले में धारण कर इस अनुष्ठान को करते हैं और दीक्षा ग्रहण करते हैं। इस मुलाकात के दौरान राहुल गाँधी ने कहा कि, मैं पिछले कुछ समय से बसवन्ना जी को फॉलो कर रहा हूँ और उनके संबंध में पढ़ रहा हूँ। इसलिए, यहाँ होना मेरे लिए वास्तविक सम्मान की बात है। मेरी एक विनती है, यदि आप मुझे कोई ऐसा व्यक्ति भेज सकते हैं, जो मुझे इष्टलिंग और शिवयोग के संबंध में विस्तार से बता सके, तो मुझे शायद इससे लाभ होगा।'
बता दें कि कर्नाटक में अगले साल विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। सूबे में लिंगायत समुदाय की आबादी 18 फीसद से ज्यादा है। सियासी पंडितों का मानना है कि अगले विधानसभा चुनाव में लिंगायतों को साधने के लिए ही राहुल ने शिवभक्त का अवतार लिया है। इसके पहले राहुल गाँधी अपने को कश्मीरी कौल पंडित, जनेऊधारी ब्राह्मण और ‘दत्तात्रेय गोत्र वाले ब्राह्मण‘ बता चुके हैं। दरअसल, यूपी और लोकसभा चुनावों के दौरान अपने आप को ब्राह्मण साबित कर राहुल गाँधी बाह्मण वोट को आकर्षित करना चाहते थे, लेकिन ऐसा न हो सका।
अब, कर्नाटक में विधानसभा चुनाव को देखते हुए राहुल गाँधी ब्राह्मण से लिंगायत में दीक्षित हो गए हैं। वे इस समुदाय के संस्थापक बसवन्ना को फॉलो कर रहे हैं और उनके संबंध में पढ़ रहे हैं, जिन्होंने ब्राह्मणों के वर्चस्ववादी व्यवस्था का विरोध किया था। बसवन्ना जन्म आधारित व्यवस्था के स्थान पर कर्म आधारित व्यवस्था में यकीन करते थे। इसलिए हिन्दू धर्म से कुरीतियों को दूर करने के लिए उन्होंने नए सम्प्रदाय की स्थापना 12वीं शताब्दी में की थी। बता दें कि लिंगायत और वीरशैव कर्नाटक के दो बड़े समुदाय हैं और इन दोनों समुदायों का जन्म 12वीं शताब्दी के समाज सुधारक बसवन्ना द्वारा ही किया गया था। लिंगायत समाज को कर्नाटक की अगड़ी जातियों में गिना जाता है। कर्नाटक के साथ ही महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में लिंगायतों की काफी जनसंख्या है। अमूमन, चुनावी मौसम में ब्राह्मण, शिवभक्त बनने वाले राहुल गांधी अब लिंगायत बने हैं, आने वाले समय में राहुल गांधी के और भी नए रूप देखने को मिल सकते हैं।
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