नई दिल्ली: सांसद सदस्यता गंवाने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपना सरकारी बंगला खाली कर दिया है। उन्होंने 12, तुगलक लेन बंगले की चाबी अधिकारियों के हवाले कर दी है। वो विगत 19 वर्षों से इस घर में रह रहे थे। बंगला खाली करने के बाद राहुल गांधी ने कहा कि मैंने 'सच बोलने की कीमत चुकाई' हैं, हिन्दुस्तान की आवाम ने उन्हें यह बंगला दिया था, जहां वो 19 वर्ष से रह रहे थे। हालांकि, राहुल ने जो तर्क दिया कि, सच बोलने की उन्होंने यह कीमत चुकाई, उसपर कई सवाल खड़े होते हैं। जैसे, सारे चोरों के सरनेम मोदी क्यों हैं ? तो क्या तमाम चोर मोदी सरनेम लगाते हैं ? या हर मोदी चोर ही है ?
राहुल ने ब्रिटेन में कहा था कि, उनके फोन में पेगासस था और ये बात उन्हें खुद ख़ुफ़िया अधिकारीयों ने बताई। जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था, तो अदालत ने लगभग 29 फोन चेक किए थे, एक में भी पेगासस नहीं मिला था, क्या ये राहुल गांधी का सच था ? ब्रिटेन में ही राहुल गांधी ने कहा था कि, मुस्लिमों और सिखों को भारत में दूसरे दर्जे का नागरिक समझा जाता है, इसके कुछ ही दिनों बाद ब्रिटेन में हिंदुस्तानी दूतावास पर खालिस्तानियों ने हमला कर दिया था और तिरंगे का अपमान कर डाला था। संभव है कि, देश विरोधी तत्वों ने सिखों को भड़काने के लिए राहुल के बयान को ही हथियार बनाया हो।क्योंकि भारत में तो मुस्लिमों और सिखों को अल्पसंख्यक के रूप में अतिरिक्त लाभ मिलते है, जो बहुसंख्यक हिन्दुओं को नहीं मिलते, तो दूसरा दर्जा कैसा ? ये भी राहुल गांधी का सच नहीं था ।
यहाँ तक कि, लोकतंत्र के मंदिर मानी जाने वाली संसद में राहुल गांधी ने अग्निपथ योजना को RSS की योजना बता दिया था। जबकि दिल्ली हाई कोर्ट उसे देशहित में लाइ गई योजना कह चुका है। क्या इस पर भी राहुल गांधी अपने बयान को सत्य मानते हैं ? सबसे गंभीर बात तो ये बयान कि राहुल का ये बयान बिलकुल उस कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से मिलता है, जिसे भारत सरकार ने बैन कर रखा है। क्योंकि ये संगठन भारत को 2047 तक भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाने के खतरनाक मनसूबे पर काम कर रहा है और इसके लिए उसने मुस्लिम युवाओं को ट्रैन कर हिंसक योजना तैयार की है। जाँच एजेंसियों के हाथ जो दस्तावेज लगे हैं, उसमे PFI ने भी अग्निपथ को RSS की योजना बताते हुए मुस्लिमों को भड़काने का प्लान बनाया है, वही भाषा राहुल गांधी संसद में बोल रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि, देश कि जनता उनपर भरोसा करे, लेकिन कैसे ?
जहाँ तक अडानी की बात है, तो उसका केस सुप्रीम कोर्ट में है और अडानी समूह की एक कंपनी अडानी पावर एक मामले में क्लीन चिट भी ले चुकी है। लेकिन, विदेशी कंपनी हिंडनबर्ग पर भरोसा करके स्वदेशी कंपनी पर सवाल उठाना भी राहुल को सवालों के दायरे में ला रहा है। जो राहुल पूछ रहे थे कि, अडानी की कंपनी में 20000 करोड़ किसके हैं, उसका जवाब खुद अडानी समूह ने अपना हिसाब-किताब सार्वजनिक करके दे दिया है और यदि राहुल गांधी के पास ठोस सबूत हैं, तो वे सुप्रीम कोर्ट जाकर अडानी को सजा दिलवाएं, वहां केस चल ही रहा है। हालाँकि, फिलहाल स्थिति तो यही है कि, दिल्ली में ही सोनिया गांधी और राहुल गांधी को अलग-अलग बंगले मिले हुए थे, अब राहुल अपनी माँ के साथ शिफ्ट होने जा रहे हैं।
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