नई दिल्ली: कांग्रेस के सांसद और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सियासी वापसी की कोशिशों को तेज करने के लिए बुधवार को इंदिरा गांधी स्टेडियम में "न्याय चौपाल" का आयोजन करेंगे। यह कार्यक्रम कांग्रेस द्वारा हाल ही में समाप्त की गई "दिल्ली न्याय यात्रा" के बाद हो रहा है, जिसमें प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में पैदल यात्राएं कीं और कार्यकर्ताओं के साथ लगातार संपर्क बनाए रखा।
राहुल गांधी इस कार्यक्रम में विभिन्न समूहों जैसे महिलाओं, दलितों, झुग्गी वासियों, अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों, और ऑटो चालकों से संवाद करेंगे। उनके साथ बातचीत के जरिए चुनावी मुद्दों और वादों की दिशा तय करने की कोशिश की जाएगी। स्टेडियम में एक रैंप बनाया गया है, जहां से राहुल गांधी इन सभी समूहों से बातचीत करेंगे। 2013 में शीला दीक्षित सरकार के पतन के बाद से दिल्ली में कांग्रेस की स्थिति लगातार कमजोर होती गई है। 2015 और 2020 में पार्टी विधानसभा में एक भी सीट नहीं जीत पाई, और 2020 में इसका वोट प्रतिशत 5% से भी नीचे गिर गया।
आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के पारंपरिक मुस्लिम वोट बैंक को अपनी ओर खींच लिया, जिससे कांग्रेस की स्थिति और खराब हो गई। 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों दलों को एक भी सीट नहीं मिली, और इसके बाद गठबंधन टूट गया। अब कांग्रेस को दिल्ली में अपने दम पर चुनावी जंग लड़नी है, और इस स्थिति में राहुल गांधी का मैदान में उतरना महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि कांग्रेस को यहां अपनी प्रासंगिकता साबित करनी है।
कांग्रेस के लिए यह तय करना मुश्किल हो रहा है कि दिल्ली में उसका मुख्य प्रतिद्वंद्वी आम आदमी पार्टी है या भाजपा। आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के वोट बैंक को छीनकर पिछले 10 सालों से दिल्ली की सत्ता पर कब्जा जमाए रखा है। कांग्रेस अगर आम आदमी पार्टी के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाती है, तो इससे उसके राष्ट्रीय स्तर पर बने इंडिया गठबंधन को भी चुनौती मिल सकती है, जहां सहयोगी दल ममता बनर्जी को गठबंधन की कमान देने का दबाव बना रहे हैं।
दूसरी ओर, भाजपा को अरविंद केजरीवाल के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है, और ऐसे में दोनों दलों को पीछे छोड़कर अपनी जगह बनाना कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती है। राहुल गांधी के इस चुनावी दंगल में शामिल होने से कांग्रेस को नई दिशा और ऊर्जा मिलने की उम्मीद है, लेकिन यह लड़ाई उनके और पार्टी दोनों के लिए आसान नहीं होगी।