नई दिल्ली : 92 साल पहले 1924 से अलग से रेल बजट पेश करने का सफर अब खत्म होने वाला है, क्योंकि आगामी वित्तीय वर्ष 2017-18 से यह अलग से पेश नहीं होगा. वित्त मंत्रालय ने इसे सामान्य बजट के साथ मिलाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. मिली जानकारी के अनुसार वित्त मंत्रालय एक 5 सदस्यीय समिति बनाएगी जो इस प्रक्रिया को अंतिम रूप देगी. रेल मंत्री सुरेश प्रभु भी रेल बजट के खत्म करने की बात कहते रहे हैं.
1996 के बाद से कई राजनीतिक दल भी रेल बजट को खत्म करने की बात कर रहे थे, लेकिन इसे गंभीरता से किसी ने नहीं लिया. मोदी सरकार ब्रिटिश सरकार की रेल बजट अलग से पेश करने की परंपरा को खत्म करना चाहती है. नीति आयोग के दो सदस्यों बिबेक देबरॉय और किशोर देसाई ने भी अलग से रेल बजट पेश करने को खत्म करने कहा था.
9 अगस्त को राज्यसभा में रेल मंत्री ने कहा था कि उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली से रेल बजट को सामान्य बजट में शामिल करने के लिए बात की है. उन्होंने ये भी कहा था कि ये देश कीअर्थव्यवस्था के लिहाज से भी ठीक रहेगा.
बता दें कि यदि रेल बजट को सामान्य बजट के साथ पेश किया जाएगा तो रेल विभाग को भी अन्य विभागों की तरह पैसा आवंटित होगा, लेकिन इसके खर्च और कमाई पर वित्त मंत्रालय नजर रखेगा. इस प्रकार जब रेलवे को पूरी राशि आवंटित हो जाएगी तो इसके कई उद्देश्य भी अलग हो जाएंगे और इसका मॉडल डाक विभाग की तरह काम करने लगेगा.