राष्ट्रीय प्रौद्योगिक संस्थान रायपुर के जियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. एच गोविल के दिए सुझाव को नासा और इसरो ने मान लिया है. इसके साथ ही देश के साथ ही विदेश में भी रायपुर की तकनीक जल्द नजर आ सकती है. संयुक्त उपग्रह एवीआइआरआइएस-एनजी 2020 में लांच होना है और इसके लिए ही डाटा की मैंपिग के लिए आइडिया मांगे गए थे. मैंपिग के लिए भेजे गए प्रो. गोविल का आईडिया इसरो और नासा के वैज्ञानिकों को पसंद आया है. इसके साथ ही एक खास बात ये भी है कि भारत में उपग्रह के लिए पहली बार एयरक्रॉफ्ट से मैपिंग होगी.
इस मैंपिग से ये फायदा होगा कि नदियों की स्थिति, ग्लेशियर पर होने वाले प्रभाव और खेती के लिए मृदा की क्षमता का पता लगाया जा सकेगा. इस तकनीक से ये फायदा होगा कि खेती पर होने वाले असर के साथ समुद्र में होने वाली गतिविधियों की भी सही जानकारी मिल सकेगी. उपग्रह में मौजूद 240 बैंड्स कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और तमिलनाडु के लिए काम कर पाएंगे.
इस तकनीक के लिए दिए गए प्रजेंटेशन में ये भी बताया गया कि अगर हम हाइपर स्पेक्ट्रम सेंसर को एयरक्रॉफ्ट में रख कर मैपिंग करें तो मिनरल खोजने के सही परिणाम मिल जाएंगे. इससे यह भी फायदा होगा कि उपग्रह में सही डाटा इंस्टॉल किया जा सकता है.
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