जयपुर: राजस्थान के हनुमानगढ़ में न्याय नहीं मिलने के कारण एक दुष्कर्म पीड़िता ने फांसी लगाकर जान दे दी। न्याय की आस लगाए 16 दिन पहले पीड़ित महिला दो दिनों तक पुलिस अधीक्षक (SP) दफ्तर के सामने धरने पर बैठी थी। पीड़िता ने बताया था कि पुलिस उसकी सुनवाई नहीं कर रही है। पीड़ित महिला ने बिजली विभाग के एक अधिकारी पर शादी का झांसा देकर कई बार बलात्कार करने का आरोप लगाया था। पीड़ित महिला ने कहा था कि जैन रामगोपाल ने उसे शादी का झांसा देकर निरंतर उसका शोषण किया। जब उसने शादी की बात की तो अधिकारी ने इंकार कर दिया।
इसके बाद महिला ने आरोपी अधिकारी के खिलाफ महिला थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, मगर बहुत समय बीत जाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई। पीड़िता ने आरोप लगाते हुए कहा था कि पुलिस ने भी उसके साथ दुर्व्यवहार किया और उस पर समझौते के लिए दबाव बनाया गया। जब पीड़िता इंसाफ के लिए SP कार्यालय के बाहर धरने पर बैठी तो पुलिस अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि आरोपी को जल्द पकड़ लेंगे। मगर, जब बहुत समय बीत जाने के बाद भी आरोपी गिरफ्तार नहीं किया गया, तो पीड़िता ने आहत होकर अपने घर में ही फांसी लगाकर ख़ुदकुशी कर ली।
रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता जब धरने पर बैठी थी तो अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) नीलम चौधरी ने भी कहा था कि इस मामले में कार्रवाई जारी है और जल्द ही आरोपी को अरेस्ट कर लिया जाएगा। बता दें कि पीड़िता हनुमानगढ़ जिले की निवासी थी। महिला बिजली विभाग के अधिकारी रामगोपाल के साथ लिव इन रिलेशन थी। हालांकि महिला की पहले एक शादी हो चुकी थी और उसका एक बच्चा भी था, मगर उसने रामगोपाल के साथ दूसरी शादी करने का फैसला लिया था। आरोपी रामगोपाल ने भी वादा किया था कि वह शादी करेगा। इस दौरान दोनों के संबंध भी बन गए। लेकिन जब रामगोपाल की शादी कहीं और तय हो गई, तो महिला उसके खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराने पहुंच गई थी।
वहीं, युवती की मौत के बाद पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पीड़िता कुछ दिन पहले ही थाने में समझौते की बात कह कर मामले को समाप्त करने की अर्जी दी थी। हालाँकि, समय रहते पुलिस कोई कदम उठाती, तो शायद पीड़ित महिला की जान बच जाती। इस मामले को लेकर राज्य की कांग्रेस सरकार पर भी सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, राजस्थान दुष्कर्म के मामलों में देश में सभी राज्यों से आगे है, जो राज्य की कानून व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह है। वहीं, इस मामले पर लड़की हूँ लड़ सकती हूँ का नारा देने वाली प्रियंका गांधी की चुप्पी पर भी सवाल उठ रहे हैं, जो दूसरे राज्यों में तो धारा 144 लागू (प्रभावित इलाकों में) होने के बावजूद पीड़ित परिवार से मिलने पहुँच जाती हैं, लेकिन अपनी ही पार्टी द्वारा शासित राज्य में हुई इस घटना में न तो वो पीड़ित परिवार से मिलने पहुंची हैं और न ही उनका कोई बयान सामने आया है। भारत को बलात्कार की राजधानी कहने वाले राहुल गांधी भी इस मुद्दे पर मौन हैं।
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