राजस्थान में लॉकडाउन की वजह से आर्थिक संकट गहरा गया है. वही, राज्य में 36 लाख 51 हजार बीपीएल परिवारों,अंत्योदय योजना के लाभार्थियों ,25 लाख निर्माण श्रमिकों एवं स्ट्रीट वेंडर्स को अशोक गहलोत सरकार 1500 संबल के रूप में एक माह में देगी.
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इस नए फैसले बाद सरकार पर 500 करोड़ का आर्थिक भार पड़ेगा. सीएम गहलोत की अध्यक्षता में मंगलवार देर शाम हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में तय किया गया कि मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, मंत्रीपरिषद के सदस्य, विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता, विधायकों के ग्रोस वेतन का 75 प्रतिशत हिस्सा स्थगित अर्थात डेफर रखा जाएगा. वहीं अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों के मार्च माह के वेतन का 60 प्रतिशत हिस्सा और राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों, अधिनस्थ सेवा के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के ग्रोस वेतन का 50 प्रतिशत हिस्सा स्थगित रखा जाएगा.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि चिकित्सा सेवा के अधिकारियों, कर्मचारियों, पुलिस सेवा के अधिकारियों एवं पुलिसकर्मियों को वेतन स्थगन से मुक्त रखा गया है. वेतन स्थगन का निर्णय लाक डाऊन के चलते सरकार के राजस्व में हुई कमी को देखते हुए लिया गया है. बैठक में बताया गया कि लॉक डाऊन के कारण प्रदेश में औधोगिक एवं व्यावसायिक गतिविधियां बंद रही. सरकार के राजस्व में काफी कमी आई है. मार्च माह में अनुमानित मात्र 17 हजार करोड़ का ही राजस्व अर्जन हो सका है. कोरोना पीड़ितों की मदद के लिए अभी बजट की आवश्यक्ता होगी,इस कारण वेतन स्थगन का निर्णय लिया गया है.
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