जयपुर: राजस्थान के भरतपुर में अवैध खनन और राज्य की कांग्रेस सरकार के उदासीन रवैये के कारण दुखी पसोपा गांव में संत बाबा विजय दास ने 551 दिन बाद अपने आप को आग लगी ली। आग लगाने के बाद बाबा राधे-राधे कहते हुए दौड़ने लगे। जब तक पुलिसकर्मी कंबल डालकर आग बुझा पाते, तब तक संत 80 फीसदी जल चुके थे। पुलिस प्रशासन ने बाबा को भरतपुर के राज बहादुर मेमोरियल अस्पताल में एडमिट कराया गया है, जहां उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। बाबा के आग लगाने के बाद कांग्रेस सरकार के खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया बैकफुट पर आ गए। उन्होंने कहा कि संत जिन खानों को बंद करने की मांग कर रहे हैं, वे लीगल हैं। उसके बाद भी उनकी लीज शिफ्ट करने के बारे में विचार किया जाएगा।
In Rajasthan’s Bharatpur Sadhu Sant protesting illegal mining for 551 days - Sadhu Vijay Das set himself on fire - ecosystem is silent because its Congress ruled!
— Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) July 20, 2022
Gehlot Govt has no shame, Rahul Gandhi won’t utter a word on this corruption & because Hindu Saints don’t matter pic.twitter.com/kpe4pz97vD
बात दें कि अवैध खनन के विरोध में मंगलवार सुबह बाबा नारायण दास टॉवर पर चढ़ गए थे और पूरी रात टॉवर पर ही रहे। बाबा नारायण दास को टॉवर पर ही ग्लूकोज और अन्य खाद्य सामग्री पहुंचाई गई। वहीं पूरी रात, मौके पर पुलिस टीम भी तैनात रही। इसके बाद बुधवार सुबह बड़ी तादाद में साधु-संत पासोपा में आंदोलन स्थल पर जमा हुए। इसी दौरान सुबह लगभग 11.30 बजे एक संत विजयसदास (65) ने धरनास्थल के पीछे जाकर ज्वलनशील पदार्थ छिड़ककर अपने आप को आग लगा ली। संत द्वारा आत्मदाह किए जाने के बाद खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने कहा कि पहाड़ी के आसपास 55-60 लीज दे रखी हैं। वे सब कानूनी तरीके से खनन कर रहे हैं। उनके पास एनवायर्नमेंटल क्लियरेंस भी है। संत चाहते हैं कि वहां खनन बंद करके उस क्षेत्र को वन क्षेत्र घोषित कर दिया जाए। भाया ने आगे कहा कि इस मामले में मुख्यमंत्री के नेतृत्व में एक बैठक भी हुई थी। साथ ही यह चर्चा भी हुई थी कि वे नियमानुसार खनन कर रहे हैं, रॉयल्टी भी दे रहे हैं। उन खानों की लीज निरस्त करके दूसरी जगह लीज देने पर विचार करेंगे।
बता दें कि राजस्थान के भरतपुर जिले की डीग, कामां तहसील का इलाका 84 कोस परिक्रमा मार्ग में आता है। साधु-संतों का कहना है कि यह धार्मिक आस्था से सम्बंधित स्थल है, यहां हिंदू धर्म के लोग परिक्रमा करते हैं, इसलिए यहां वैध और अवैध, दोनों तरह के खनन बंद होने चाहिए। इसी मांग को लेकर वे 551 दिनों से आंदोलन कर रहे थे और आखिरकार उन्होंने आत्मदाह कर लिया।
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