जयपुर: वरिष्ठ बीजेपी नेता जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ अपने परिवार के चार दशक पुराने रिश्ते को समाप्त कर, बुधवार को कांग्रेस का दामन थाम लिया है. चुनावी विशेषज्ञों की मानें तो मानवेन्द्र सिंह का ये कदम भाजपा के लिए बहुत भारी पड़ सकता है. माना जा रह है कि मानवेंद्र की प्रविष्टि कांग्रेस को राजपूत समुदाय के बीच पकड़ देगी जो आम तौर पर कांग्रेस से दूर रहती है.
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राजपूतों को भाजपा का पारंपरिक वोट बैंक माना जाता है जबकि कांग्रेस के जाट, हालांकि कुछ मुद्दों को लेकर राजपूत समुदाय भाजपा से नाराज़ भी है. विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा से मानवेंद्र के प्रस्थान ने मारवाड़ की राजनीति में नए मतदान समीकरण बनाए हैं, जिससे कांग्रेस को फायदा मिल सकता है. उल्लेखनीय है कि मानवेंद्र बाड़मेर-जैसलमेर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं. राजनीतिक विश्लेषक विजय शर्मा द्वारा अनुमानित आंकड़ों के मुताबिक, लोकसभा सीट में लगभग 2.5 लाख राजपूत, 3.5 लाख जाट और 2.5 लाख मुस्लिम मतदाता हैं. बीजेपी ने परंपरागत रूप से बाड़मेर में 9 विधानसभा सीटों में से राजपूतों को चार टिकट दिए हैं जबकि कांग्रेस ने एक को दिया है.
उन्होंने कहा कि राजपूत और जाट राजनीतिक प्रतिद्वंदी हैं और मानवेंद्र के कदम से राजपूत, चरन, प्रजापत और राजपूतों से जुड़े अन्य ओबीसी समुदायों के वोट प्राप्त करने में कांग्रेस की मदद मिलेगी. शर्मा ने कहा कि राजपूतों के साथ ही कांग्रेस को मुस्लिमों से भी फायदा हो सकता है, जिन्हे देशभर में कांग्रेस का वोट बैंक माना जाता है. एक और अन्य विशेषज्ञ मनोज गुजर ने भी मानवेन्द्र के कांग्रेस में शामिल होने को बीजेपी के लिए बड़ा झटका बताया है.
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