जयपुर: राजस्थान में 7 दिसम्बर को विधान सभा चुनाव के लिए मतदान होना है, राजस्थान की प्रकृति ही यह रही है कि यहाँ की जनता किसी भी सरकार को लगातार दूसरा कार्यकाल करने का मौका नहीं देती है. यहाँ हर बार सत्ता परिवर्तन होता है, कांग्रेस के बाद भाजपा और भाजपा के बाद कांग्रेस राजस्थान की गद्दी पर शासन करती रही है. इसी क्रम में इस बार कांग्रेस राजस्थान चुनाव को आशा भरी नज़रों से देख रही है, क्योंकि इस बार बारी के हिसाब से वसुंधरा राजे सरकार के बाद कांग्रेस का सत्ता में आने का समय है.
राजस्थान की चुनावी प्रकृति तो कांग्रेस के पक्ष में है, लेकिन कांग्रेस के लिए समस्या पैदा कर सकते हैं खुद पार्टी के उम्मीदवार. बताया जा रहा है कि राजस्थान में दो दिग्गज नेताओं के बीच चुनाव करना कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है. इनमे से एक है प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री सचिन पायलट और दो बार राजस्थान में मुख्यमंत्री रहे व राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत. कांग्रेस ये तय नहीं कर पा रही है कि दोनों में से किसे मुख्यमंत्री पद के लिए नामित करे. इसके लिए पार्टी में दो फाड़ हो गई है, वरिष्ठ नेता जहाँ अशोक गेहलोत को सीएम पद का योग्य उम्मीदवार घोषित कर रहे हैं, वहीं युवा कांग्रेसी सचिन पायलट का समर्थन कर रहे हैं.
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कांग्रेस के राष्ट्रिय महासचिव बनने के बाद खुद अशोक गेहलोत ने अपने एक बयान में यह संकेत दे दिया था कि सीएम का चेहरा खोजने की जरुरत नहीं है. गहलोत ने पत्रकारों से कहा कि वे 10 साल राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे हैं और ऐसे में सीएम के चेहरे की आवश्यकता कहां है. उन्होंने कहा था कि वे चाहे दिल्ली रहें, पंजाब रहें या देश के किसी भी कोने में रहें, वे सेवा राजस्थान की ही करेंगे. वहीं भाजपा, कांग्रेस में चल रही इस खींचतान का भरपूर फायदा उठा रही है, भाजपा राजस्थान में प्रचार के दौरान ये बात जोरों-शोरों से कह रही है कि कांग्रेस के पास सीएम पद के लिए कोई उम्मीदवार ही नहीं है.
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