राजस्थान: राजस्थान में गहलोत सरकार अपनी पहली वर्षगांठ मना रही है. इस एक वर्ष में जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं के जरिए जवाबदेही सरकार देने की कोशिश की है. वहीं, उपचुनाव और निकाय चुनाव जैसी बड़ी चुनावी चुनौतियों को भी पार किया है. अब मुख्यमंत्री के समक्ष पंचायत चुनाव की चुनौती सामने है. माना जा रहा है कि पंचायत चुनाव से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के जादुई पिटारे से ईडब्ल्यूएस जैसा कोई और बड़ा फैसला सामने आ सकता है.
गहलोत सरकार ने 1 साल के कार्यकाल में ना केवल विभिन्न योजनाओं के जरिए सुशासन देने की कोशिश की है, हालाँकि इस दौरान कई चुनावी चुनौतियों को भी बखूबी पार किया है. गहलोत सरकार ने इस दौरान उपचुनाव और निकाय चुनाव में शानदार जीत दर्ज कर बता दिया है कि जनता बार बार उनके कामकाज पर मुहर लगा रही है.
बताया जा रहा है कि सरकार बनने के तुरंत बाद हुए रामगढ़ उपचुनाव में कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज की थी. इसके बाद मंडावा और खींवसर के उपचुनाव में कांग्रेस की उम्मीदों से बेहतर रहे थे. मनावा में जहां 33000 से ज्यादा वोटों से जीत मिली वही हनुमान बेनीवाल के गढ़ कहे जाने वाले खींवसर में कांग्रेस आरोपी को करीब हराने में कामयाब हो गई थी. यहां कांग्रेस के प्रत्याशी को महज 5000 से हार का सामना करना पड़ा था.
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