कोटा: लंबे समय से बंद पड़ी अंगदान की सांसों को अब नया जीवन मिल सकेगा. काफी इंतजार के बाद राज्य सरकार ने मेडिकल कॉलेज कोटा में 'ऑर्गन रिट्राइवल सेंटर' खोलने की इजाजत दे दी है. इजाजत के बाद अब कोटा में इच्छानुसार ब्रेन डेड मरीज के लीवर, कॉर्निया, हार्ट, किडनी आदि अंग निकाले जा सकेंगे और उन्हें ग्रीन कॉरिडोर के जरिए जयपुर या अन्य स्थानों पर भेजा जा सकेगा. इससे ट्रांसप्लांट को बढ़ावा मिल सकेगा.
कोटा में लगभग 6 वर्षों से 'ऑर्गन रिट्राइवल सेंटर' खोलने की मांग की जा रही थी. मेडिकल कॉलेज में ब्रेन डेड कमेटी भी गठित की गई थी. कॉलेज प्रशासन की नज़रअंदाज़ी के कारण 5 साल तक इसकी फाइल ठन्डे बस्ते में थी. गत वर्ष ब्रेन डेड मरीज के अंगदान की कोशिश कागजी कार्रवाई में फंसने के बाद, इसकी आवश्यकता और अधिक महसूस होने लगी. कुछ महीने पहले ही जयपुर से आई एक टीम ने नए हॉस्पिटल का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं व सुविधाओ का मुआयना किया था.
टीम की रिपोर्ट के बाद राज्य की गहलोत सरकार ने मानव अंग अधिनियम, 1994 (1994 का 42) के प्रत्यारोपण के तहत आंख/ कॉर्निया पुनर्प्राप्ति के अलावा अंग/ ऊतक प्रदर्शन के लिए कोटा मेडिकल कॉलेज को पंजीकरण का प्रमाण पत्र दे दिया है. पंजीकरण का यह प्रमाण पत्र जारी करने की तारीख से पांच वर्ष तक के लिए वैध है.
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