जयपुर: राजस्थान में शिक्षा विभाग ने स्कूलों के पाठ्यक्रम की समीक्षा के लिए एक समिति बनाई है, जो 30 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी। इस समीक्षा का उद्देश्य पाठ्यक्रम में शामिल ऐसे विषयों को हटाना है जो राष्ट्रीयता और राजपूताना इतिहास को गलत रूप में प्रस्तुत करते हैं। समिति द्वारा सुझाए गए बदलावों के आधार पर नए पाठ्यक्रम में राष्ट्रीयता से प्रेरित और ऐतिहासिक रूप से सही सामग्री जोड़ी जाएगी।
राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि पाठ्यक्रम में अनावश्यक और अवांछनीय विषयों को हटाया जाएगा और इसे समयानुकूल बनाया जाएगा। इस पहल को लेकर राजनीतिक विवाद भी शुरू हो गया है। बीजेपी इसे इतिहास को सही रूप में पेश करने का प्रयास बता रही है, जबकि कांग्रेस इसे शिक्षा का भगवाकरण करार दे रही है। डिप्टी सीएम दिया कुमारी ने कहा कि जयपुर और राजपूताना का सही इतिहास युवाओं तक पहुंचाया जाना चाहिए। उन्होंने ब्रिटिश और मुगल काल के इतिहास को गलत बताते हुए इसे बदलने की वकालत की। बीजेपी ने दावा किया कि इससे युवाओं को अपने गौरवशाली अतीत के बारे में जानने का मौका मिलेगा।
दूसरी ओर, कांग्रेस नेता प्रताप सिंह खाचरियावास ने आरोप लगाया कि बीजेपी सांप्रदायिकता फैलाने के लिए इतिहास को बदलना चाहती है। उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप के सेनापति हकीम खान सूरी और अन्य मुस्लिम नेताओं के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि इतिहास किसी धर्म या जाति के लिए नहीं, बल्कि सभी भारतीयों के लिए समान रूप से गर्व का विषय है।यह विवाद शिक्षा और इतिहास को लेकर राजनीतिक मतभेदों को और गहरा कर सकता है, क्योंकि दोनों पक्ष अपनी-अपनी विचारधाराओं को पाठ्यक्रम में शामिल करने का प्रयास कर रहे हैं।
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