जयपुर: 1 नवंबर को होने वाले गुर्जर आंदोलन को लेकर अब राजस्थान सरकार सतर्क हो गई है. आरक्षण आंदोलन करने वालों से अब राज्य सरकार ने सख्ती से निपटने का फैसला लिया है. इसी के तहत शांति व्यवस्था प्रभावित करने वाले लोगों पर 'रासुका' लगाने का फैसला लिया गया है. वहीं गृह विभाग ने भी भरतपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर, दौसा, टोंक, बूंदी, झालावाड़ और करौली के जिलाधिकारियों को इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं.
गृह विभाग ने इन जिलाधिकारियों को रासुका का प्रयोग करने के लिए अधिकार दिए हैं. गवर्नर की इजाजत के बाद गृह विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है. बता दें कि रासुका कानून जिसे राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, 1980 के नाम से जाना जाता है. इस कानून में देश की सुरक्षा को लेकर प्रावधान किए गए है. जहां केंन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार को पूर्ण अधिकार प्राप्त है कि अगर देश या राज्य में किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा कोई ऐसी गतिविधि की जाती है या की जाने की आशंका होती है या ऐसा कुछ भी किये जाने का पूरा यकीन है की उनकी ऐसी गतिविधियों से देश व् देश के नागरिको की सुरक्षा में बाधा पैदा हो सकती है या देश सुचारु रूप से चलने में बाधित हो सकता है या होता है, तो उस हर व्यक्ति को इस रासुका कानून के तहत अरेस्ट किये जाने का आदेश केंद्रीय सरकार, राज्य सरकार द्वारा पारित किया जा सकता है.
ऐसे में माना जा रहा है कि राजस्थान की अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार, गुर्जर आंदोलन को कुचलने के लिए पुलिस बल का प्रयोग कर सकती है और बड़े पैमाने पर लोगों की गिरफ्तारियों हो सकती हैं।
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