नई दिल्ली: अग्निपथ योजना के विरुद्ध जारी हिंसक प्रदर्शनों के बीच सरकार अपने कदम पर आगे बढ़ रही है। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस क्रम में शनिवार को तीन सेना अध्यक्षों के साथ बैठक की। राजनाथ सिंह की सेना प्रमुखों के साथ यह बैठक इसलिए भी अहम है, क्योंकि इस समय अग्निपथ स्कीम के खिलाफ पूरे देश के कई हिस्सों में उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं। अग्निपथ स्कीम के खिलाफ आग 13 राज्यों को झुलसने लगी है। बीते तीन दिनों में देश के कई हिस्सों में युवाओं द्वारा हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहा है, पक्षी दलों ने सरकार से इस योजना को वापस लेने का अनुरोध किया है। ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएटेड ने शनिवार को 24 घंटे के लिए बिहार बंद करने की घोषणा की है। बिहार इस समय अग्निपथ स्कीम के खिलाफ विरोध का केंद्र रहा है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा शनिवार को CAPF और असम राइफल्स की भर्ती में अग्निवीरों के लिए 10 फीसद आरक्षण के ऐलान के फ़ौरन बाद रक्षा मंत्री और सेवा प्रमुखों के बीच अहम बैठक हुई। तीनों सेना अध्यक्षों ने उस योजना के बारे में विश्वास जताया है, जिसके जरिए युवाओं को चार वर्षों की अवधि के लिए सेना, नौसेना और वायु सेना में भर्ती किया जाएगा। चार साल के आखिर में, उनमें से 25% को बरकरार रखा जाएगा जबकि बाकी को उनके भविष्य के लिए मदद दी जाएगी।
एयरफोर्स चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी ने शनिवार को कहा कि अग्निपथ का विरोध कर रहे युवाओं को सही जानकारी प्राप्त करनी चाहिए और योजना को पूरी तरह से समझना चाहिए। सेना अध्यक्ष जनरल मनोज पांडे ने कहा कि यह योजना युवाओं को एक मौका प्रदान करेगी और चल रहे प्रतिरोध की वजह से उन्हें ठीक से सूचित नहीं किया गया है। वहीं, नेवी चीफ एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा कि विरोध की उम्मीद नहीं थी और अग्निपथ योजना इंडियन आर्मी में सबसे बड़ा मानव संसाधन प्रबंधन परिवर्तन है। बता दें कि, सेना ने 24 जून से अग्निपथ योजना के तहत भर्ती शुरू करने का ऐलान कर दिया है।
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