भाई-बहन का सबसे पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन इस बार 26 अगस्त को मनाया जाएगा. रक्षा बंधन भाई-बहन का त्यौहार होता है इस बात से तो सभी वाकिफ है लेकिन इससे जुड़ी परंपरा और लोक कथाओं के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. रक्षा बंधन पर बहन अपने भाई की कलाई पर रेशम की डोर बांधकर अपनी रक्षा करने का वचन लेती है ये तो सभी को पता है लेकिन रक्षा बंधन से जुड़ी और भी कई कहानियां हैं जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. आज हम आपको रक्षाबंधन से जुड़ी लोक कथाओं के बारे में बता रहे हैं.
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रक्षा बंधन के त्यौहार को देवों के समय से मनाया जा रहा है. इसका वर्णन भविष्य पुराण में किया गया है. जब देव और दानव के बीच युद्ध हो रहा था तब दानव देव पर हावी पड़ गए थे. इसके बाद भगवान इन्द्र बहुत घबरा गए थे और वो बृहस्पति के पास गए. उस समय वहां इन्द्र की पत्नी इन्द्राणी भी बैठी थी. फिर उन्होंने एक रेशम के धागे को मंत्र की शक्ति के जरिए पवित्र कर दिया और उसे अपनी पत्नी की कलाई पर बांध दिया. जिस दिन इन्द्राणी ने धागा बांधा था उस दिन श्रावण पूर्णिमा थी. ऐसा कहा जाता है कि इस धागे की शक्ति के जरिए ही इन्द्र उस युद्ध को जीतने में सफल हुए थे. तब से लेकर अब तक ये परंपरा चलती ही आ रही हैं.
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इस कहानी का वर्णन महाभारत में भी किया गया है. त्रेता युग में हुई महाभारत की लड़ाई के पहले श्रीकृष्ण ने शिशुपाल के खिलाफ सुदर्शन चक्र उठाया था. उस समय भगवान कृष्णा के हाथों में चोट लग गई थी और खून बहनें लगा था जिसके बाद द्रौपदी ने अपनी साड़ी में से एक टुकड़ा फाड़कर भगवान श्रीकृष्ण की उंगली में बांध दिया था. इसके बदले में कृष्णा ने द्रौपदी से भविष्य में आने वाली सभी मुसीबतों से रक्षा करने का वादा किया था. इसलिए रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है.
27 साल बाद बन रहा है रक्षाबंधन पर ये योग
रक्षाबंधन के पीछे एक और कहानी प्रचलित है. चित्तौड़ की रानी कर्मावती ने मुग़ल शासक हुमांयू को राखी भेजकर उन्हें अपना भाई बनाया था. हुमांयू ने भी कर्मवती को रक्षा करने का वचन दिया था और फिर गुजरात के राजा से युद्ध कर उनकी रक्षा की थी.
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