रक्षा बंधन का पर्व सभी बहनों और भाइयों के लिए ख़ास होता है. ऐसे में यह त्यौहार सिंधु घाटी की सभ्यता से जुड़ा हुआ है, लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि रक्षा बंधन की परंपरा की शुरुआत बहनों ने शुरू नहीं की थी. जी हाँ, रक्षा बंधन सावन पूर्णिमा को मनाया जाता है और इस बार यह 15 अगस्त को है. वहीं आपको यह जानकर हैरानी होगी कि राखी की परम्परा सगी बहनों ने शुरू नहीं की थी बल्कि इन्हे दूसरी बहनों से शुरू किया था. जी हाँ, 6 हजार साल पुरानी परंपरा इस पर्व की उत्पत्ति लगभग 6 हजार साल पहले बताई गई है और इसके कई साक्ष्य भी इतिहास में दर्ज हैं.
कहते हैं विदेश में बसे लोग भी राखी मनाते हैं और वहां सगी बहन नहीं, तो भी कोई समस्या नहीं क्योंकि मुंहबोली बहनों से राखी बंधवाने की परंपरा भी काफी पुरानी है. जी हाँ, वैसे आजकल देश और विदेश दोनों जगह मुँहबोली बहन से राखी बंधवाई जाती है इस कारण से उन भाइयों को भी निराशा का सामना नहीं करना पड़ता, जिनकी अपनी सगी बहन नहीं है क्योंकि, असल में रक्षाबंधन की परंपरा ही उन बहनों ने शुरू की थी जो सगी नहीं थीं. जी हाँ, भले ही उन बहनों ने अपने संरक्षण के लिए ही इस पर्व की शुरुआत क्यों न की हो, लेकिन उसी बदौलत आज भी इस पर्व की मान्यता बरकरार है. आपको बता दें कि रक्षाबंधन की शुरुआत के सबसे पहले ऐतिहासिक साक्ष्य रानी कर्णावती व सम्राट हुमायूं हैं.
जी हाँ, मध्यकालीन युग में राजपूत और मुस्लिमों के बीच संघर्ष चल रहा था. रानी कर्णावती चित्तौड़ के राजा की विधवा थीं. उस दौरान गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और अपनी प्रजा की सुरक्षा का कोई रास्ता न निकलता देख रानी ने हुमायूं को राखी भेजी थी. तब हुमायूं ने उनकी रक्षा कर उन्हें बहन का दर्जा दिया था. वहीं दूसरा प्रमाण एलेग्जेंडर और पुरु के बीच का माना जाता है. कहा जाता है कि हमेशा विजयी रहने वाला एलेग्जेंडर भारतीय राजा पुरु की प्रचंडता से काफी विचलित हुआ. इससे एलेग्जेंडर की पत्नी काफी तनाव में आ गईं थीं. उन्होंने रक्षाबंधन के त्यौहार के बारे में सुना था. उन्होंने भारतीय राजा पुरु को राखी भेजी. तब जाकर युद्ध की स्थिति समाप्त हुई थी. क्योंकि भारतीय राजा पुरु ने एलेग्जेंडर की पत्नी को बहन मान लिया था.
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