आप सभी इस बात से तो वाकिफ ही हैं कि नारी को देवी का स्वरूप माना गया है और जो व्यक्ति किसी भी स्त्री पर कुदृष्टि रखता है उसे जीवनभर कोई सुख नहीं मिल पाता है. इसी के साथ वह जीवन में कभी भी सफलता प्राप्त नहीं कर पाता है. आप सभी को बता दें कि रामायण में भगवान श्री राम ने भी कहा था कि, ''किसी भी पुरूष को दूसरे की बेटी या बहन पर बुरी नजर नहीं रखनी चाहिए. जो व्यक्ति पराई स्त्री पर बुरी नजर रखता है उसका अंत जल्दी ही हो जाता है.'' आप सभी को बता दें कि इस बारे में रामायण में एक प्रसंग है जो इस प्रकार है.
रामायण में बताया गया है - ''जब भगवान राम ने सुग्रीव के भाई बालि का वध किया तो उसने मृत्यु से पहले श्री राम से पूछा कि मैं बहुत शक्तिशाली हूं और मैने कभी भी किसी का बुरा नहीं किया तो फिर आपने मुझे क्यों मारा, इस पर श्री राम ने कहा कि तुमने जो एक निंदित कार्य किया वही तुम्हारी मृत्यु का कारण बना और वो कार्य था अपने छोटे भाई की पत्नी पर कुदृष्टि रखना. श्री राम ने कहा कि जो अपने छोटे भाई की पत्नी, बहन, पुत्र की पत्नी और पुत्री के साथ ही किसी पराई स्त्री को बुरी नजर से देखता है तो वह सबसे बड़ा पाप करता है. ऐसा व्यक्ति क्षमा के योग्य नहीं होता है और जल्द ही उसका विनाश हो जाता है.''
आप सभी को बता दें कि इस प्रसंग को लेकर रामायण में जो चौपाई दी गई है वो इस प्रकार है.
अनुज बधू भगिनी सुत नारी.
सुनु सठ कन्या सम ए चारी॥
इन्हहि कुदृष्टि बिलोकइ जोई.
ताहि बधें कछु पाप न होई॥
इसका अर्थ है कि ''छोटे भाई की पत्नी, बहन, पुत्र की पत्नी और पुत्री, ये सब बेटी के समान होती है. जो कोई भी इन पर बुरी नजर डालता है, तो ऐसे व्यक्ति को मारने में कोई बुराई नहीं होती है.''
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