श्रीनगर: अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन की चर्चा के बीच, नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कपिल सिब्बल के साथ एक साक्षात्कार में भारत की विविधता और भारत की संस्कृति पर जोर देने के लिए रामायण का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि भगवान राम ने कभी भी लोगों में भेदभाव नहीं किया।
रामायण का हवाला देते हुए, फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जब रानी कैकेयी ने राजा दशरथ को उस वरदान के बारे में याद दिलाया, जो उन्होंने अभी तक पूरा नहीं किया है, तो उन्होंने माँगा कि सिंहासन उनके बेटे भरत को दे दिया जाए, और उनके सौतेले बेटे युवराज राम को वनवास भेज दिया जाए। अब्दुल्ला ने कहा कि राम एक क्षण के लिए भी नहीं हिचकिचाए और अपने पिता के कहे अनुसार वनवास पर जाने के लिए तैयार हो गए। भगवान राम की महानता का हवाला देते हुए, उन्होंने रामायण की एक और घटना का हवाला दिया जब माता सीता ने उनकी यात्रा के लिए एक नाविक को भुगतान के रूप में अपनी चूड़ी दी थी, लेकिन उसने इसे स्वीकार नहीं किया और इसके बजाय भगवान राम से मोक्ष देने के लिए कहा। राम ने तुरंत उनकी इच्छा पूरी करने का वादा किया।
Kapil Sibal was part of a team of 25 lawyers who opposed Ram Mandir.
— ????Anjna???????????? (@SaffronQueen_) January 17, 2024
Farooq Abdullah in many people's eyes is the reason for Hindu genocide in Kashmir 1990.
Here they are discussing Shree Ram while Farooq sings Ram bhajans.
Don't fall for it......they're both Hindu… pic.twitter.com/6Wy5z9JZUH
अब्दुल्ला ने बताया कि कैसे राम भारतीय समाज के सभी वर्गों के लिए पूजनीय हैं और उनका संदेश समावेशन का है न कि विभाजन का। उन्होंने भारतीयों से पहले अपने धर्म को समझने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, जिस दिन आप अपने धर्म को समझ लेंगे, उस दिन आप दूसरों से नफरत नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, "भारत की ताकत इसकी विविधता है। लोग विभिन्न प्रकार के फूलों को खिलते हुए देखने के लिए चश्मे शाही और शालीमार बाग देखने आते हैं। भारत विशाल है और अपनी विविधता के लिए जाना जाता है। इसे अपने अधीन करने या सब कुछ एक जैसा बनाने के प्रयासों से भारत को नुकसान होगा।"
अब्दुल्ला ने बताया कि कैसे राम मुसलमानों सहित भारतीय समाज के सभी वर्गों के लिए पूजनीय हैं और उनका जीवन और संदेश समावेशन का है, न कि विभाजन का। वह प्रेम और नम्रता का है, वह किसी एक का नहीं बल्कि सभी का है। अब्दुल्ला ने कहा, उनका इस्तेमाल भारत को बांटने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। कपिल सिब्बल के साथ इंटरव्यू के दौरान अब्दुल्ला ने 'मेरे राम, मेरे राम...किस गली गयो मेरे राम,.किस गली गयो मेरे राम...आंगन मेरा सूना सुना' भजन भी गाया। उल्लेखनीय है कि, कपिल सिब्बल ने ही सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के खिलाफ केस लड़ा था, उस वक़्त वो कांग्रेस के दिग्गज नेता हुआ करते थे। राम काल्पनिक पात्र हैं, वे कभी हुए ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस सरकार द्वारा ऐसा हलफनामा दिए जानबे के समय भी वे वकीलों की टीम में शामिल थे।
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